अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारत को “dead economy” कहकर निशाना बनाया। ट्रम्प ने भारत और रूस को “dead economies” करार देते हुए कहा कि अमेरिका भारत के साथ बहुत कम व्यापार करता है और भारत की टैरिफ दरें बहुत ऊँची हैं। उन्होंने 1 अगस्त, 2025 से प्रभावी 25% शुल्क लगाने की घोषणा की, जिसमें रूस के साथ रक्षा एवं ऊर्जा संबंधों पर पाबंदी भी शामिल है।
भारत के नेतृत्व और विपक्षी दलों ने ट्रम्प की टिप्पणी को तीखा जवाब दिया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से विकसित हो रही प्रमुख अर्थव्यवस्था है और जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा ने ट्रम्प की टिप्पणी को “बेसलेस और ill‑tempered” बताया, साथ ही कहा कि कम‑बाजार के व्यापारी और गरीब किसान भी उनकी आर्थिक प्रतिष्ठा चुनौती दे सकते हैं।
विपक्ष में मतभेद साफ हैं: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्रम्प के कथन का समर्थन करते हुए कहा, “हर कोई जानता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था dead है” और प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री को निशाने पर लिया। जबकि कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला, शशि थरूर और शिव सेना (UBT) की प्रियंका चतुर्वेदी ने इस बयान का विरोध किया। चतुर्वेदी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि भारत विश्व की शीर्ष‑5 अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसे ‘dead economy’ कहना “arrogance or ignorance” भर हो सकता है। थरूर ने स्पष्ट कहा: “Absolutely not” — भारत की अर्थव्यवस्था बिल्कुल भी dead नहीं है।
विश्लेषकों का कहना है कि ट्रम्प का बयान पूरी तरह तथ्यात्मक दृष्टिकोण से गलत है, क्योंकि IMF सहित अन्य वैश्विक संस्थान भारत को सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था मानते हैं और भारतीय आर्थिक डेटा ट्रम्प के दावे को खंडित करते हैं। उपर्युक्त तनावों के बीच भारत–यूएस व्यापार की वार्ता ठहर गई है और वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ रही है, जिससे भारतीय स्टॉक इंडेक्स और रुपया कमजोर हुआ है।