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ट्रंप के टैरिफ वार का असर: सोना–चांदी नए रिकॉर्ड पर

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा के बाद घरेलू वित्तीय बाजारों में शुक्रवार को जोरदार हलचल देखी गई। इस टैरिफ वार का असर सीधे तौर पर शेयर बाजार, विदेशी मुद्रा बाजार और कीमती धातुओं पर दिखाई दिया। निवेशकों में बढ़ती अनिश्चितता के कारण पूंजी बाजार में तेज गिरावट आई, वहीं सुरक्षित निवेश के रूप में सोना-चांदी की मांग अचानक बढ़ गई।

शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 765 अंकों की गिरावट के साथ तीन महीने के निचले स्तर पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी में 233 अंकों की कमजोरी रही। आईटी और फार्मा शेयरों में सबसे अधिक बिकवाली देखी गई। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने लगातार छठे दिन भारतीय बाजार से पूंजी निकाली, जिससे गिरावट और गहरी हो गई। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी टैरिफ से भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की बातचीत पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और यही वजह है कि निवेशकों का भरोसा डगमगाया है।

मुद्रा बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा। भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 34 पैसे कमजोर होकर 87.66 के स्तर पर बंद हुआ। बाजार सूत्रों के मुताबिक, अगर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय पर हस्तक्षेप न किया जाता, तो रुपया और भी निचले स्तर पर फिसल सकता था। रुपया में यह कमजोरी विदेशी पूंजी बहिर्वाह और वैश्विक जोखिम बढ़ने का नतीजा बताई जा रही है।

दूसरी ओर, कीमती धातुओं में जबरदस्त तेजी रही। सोने की कीमत 1,01,790 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर की मजबूती और वैश्विक राजनीतिक-आर्थिक अस्थिरता के बीच निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के रूप में सोने का रुख किया, जिससे इसकी कीमतों में उछाल आया। चांदी भी पीछे नहीं रही और 1,15,600 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई, जो अब तक का उच्चतम स्तर है।

कमोडिटी विश्लेषकों का मानना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टैरिफ विवाद और बढ़ता है, तो सोना-चांदी में और तेजी देखने को मिल सकती है। वहीं, इक्विटी बाजार में तब तक स्थिरता की उम्मीद नहीं है जब तक वैश्विक व्यापारिक तनाव कम न हो और विदेशी निवेशक दोबारा बाजार में भरोसा न दिखाएं।

बाजार विशेषज्ञ निवेशकों को सलाह दे रहे हैं कि वे इस समय उच्च जोखिम वाले शेयरों से दूरी बनाएं और अपने पोर्टफोलियो में सुरक्षित निवेश साधनों को प्राथमिकता दें। आने वाले दिनों में रुपये की चाल, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतें और अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता की प्रगति—ये सभी भारतीय बाजार की दिशा तय करेंगे।

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