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अमेरिका बनाएगा ‘गोल्डन डोम’—डोनाल्ड ट्रंप का ऐतिहासिक फैसला विस्तार से

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🔶 क्या है ‘गोल्डन डोम’?

‘गोल्डन डोम’ अमेरिका द्वारा प्रस्तावित एक अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम है, जिसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली रक्षा कवच के रूप में पेश किया जा रहा है। यह सिस्टम इजरायल के ‘Iron Dome’ से भी ज़्यादा उन्नत होगा और अंतरिक्ष आधारित टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा।


🔶 ट्रंप की घोषणा क्या थी?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि:

“दुनिया आज एक बेहद खतरनाक दौर से गुजर रही है। चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसे देशों के मिसाइल खतरे को देखते हुए, अमेरिका को एक ऐसा सुरक्षा कवच चाहिए जो हर कोण से देश की रक्षा कर सके।”

इसलिए अब अमेरिका लगभग $175 बिलियन (14 लाख करोड़ रुपये) खर्च करके ‘Golden Dome’ नामक सुरक्षा प्रणाली बनाएगा।


🔶 कैसे काम करेगा यह सिस्टम?

गोल्डन डोम की कुछ मुख्य विशेषताएं:

  1. अंतरिक्ष आधारित सुरक्षा:
    इस प्रणाली में उपग्रहों (satellites) और स्पेस सेंसर का उपयोग किया जाएगा जो पृथ्वी के बाहर से मिसाइल लॉन्च को ट्रैक करेंगे।
  2. Laser और Kinetic हथियार:
    यह सिस्टम पारंपरिक मिसाइल से नहीं बल्कि लेजर बीम और काइनेटिक इंटरसेप्टर्स से दुश्मन की मिसाइल को उड़ाने की क्षमता रखेगा।
  3. रियल-टाइम इंटरसेप्शन:
    सिस्टम की खासियत यह होगी कि यह मिसाइल लॉन्च होते ही उसे रियल टाइम में ट्रैक कर सकेगा और अंतरिक्ष में ही उसे नष्ट कर देगा।
  4. 360-डिग्री कवरेज:
    अमेरिका के चारों ओर एक “डिजिटल ढाल” (digital shield) तैयार किया जाएगा, जिससे कोई भी मिसाइल, चाहे वो जमीन, समुद्र या अंतरिक्ष से आए—बच नहीं पाएगी।

🔶 क्यों जरूरी है ये प्रणाली?

गोल्डन डोम का उद्देश्य है कि किसी भी संभावित हमले से पहले ही मिसाइल को रास्ते में ही रोक दिया जाए, जिससे अमेरिका पर कोई नुकसान न हो।


🔶 इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कौन करेगा?

इस प्रोजेक्ट की कमान दी गई है:

जनरल माइकल गुएटलिन को – जो US Space Force के वर्तमान प्रमुख हैं।


🔶 चुनौतियाँ क्या हैं?

🔶 निष्कर्ष (Conclusion):

‘गोल्डन डोम’ एक महत्वाकांक्षी और क्रांतिकारी सुरक्षा पहल है, जिसका उद्देश्य अमेरिका को किसी भी वैश्विक खतरे से पूरी तरह सुरक्षित बनाना है। यह सिर्फ एक सैन्य प्रोजेक्ट नहीं बल्कि एक नई तरह की स्पेस वॉरफेयर रणनीति है। पर क्या यह वाकई काम करेगा या सिर्फ चुनावी राजनीति का हिस्सा है? इसका जवाब भविष्य में ही मिलेगा।

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