
मध्य-पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिफ मुनीर की मुलाकात ने नया बवाल खड़ा कर दिया है। इस लंच मीटिंग के बाद ईरान ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को सार्वजनिक रूप से चेतावनी दे दी है।
ईरानी नेताओं ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया कि अगर वह इस जंग में किसी भी रूप में कूदता है, खासकर इज़राइल के पक्ष में खड़ा होता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ईरान के वरिष्ठ नेता मोहसिन रेज़ाई ने राज्य टेलीविजन पर दावा किया कि पाकिस्तान ने जरूरत पड़ने पर ईरान को “परमाणु समर्थन” देने का भरोसा दिया है और इसकी पुष्टि भी कर दी है कि उसकी शहीन-3 बैलिस्टिक मिसाइल तिल अवीव तक मार कर सकती है।
इससे पहले, ट्रंप और मुनीर की मुलाकात के दौरान दोनों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, और इज़राइल–ईरान तनाव को लेकर गहन चर्चा हुई थी। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर यह स्पष्ट किया कि उनका देश ईरान की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों में अस्थिरता और उग्रवादी गतिविधियों को लेकर भी चिंता जताई गई।
ईरान की इस चेतावनी से साफ है कि वह पाकिस्तान के किसी भी प्रकार की सैन्य या रणनीतिक सहभागिता को गंभीर खतरे के रूप में देख रहा है। इस पूरे घटनाक्रम ने मध्य-पूर्व के पहले से तनावग्रस्त हालात को और अधिक ज्वलंत बना दिया है। अब वैश्विक समुदाय की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या पाकिस्तान इस युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाएगा या खुद को इससे अलग रखेगा।