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“दिवाली-उपहार: योगी सरकार ने 14.82 लाख राज्य कर्मचारियों को बोनस देने का ऐलान”

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिवाली से पहले राज्य सरकार के लगभग 14.82 लाख कर्मचारियों को एक खास तोहफा देने का निर्णय लिया है — उन्हें ₹6,908 का उत्पादकता-असंबद्ध बोनस (प्रोडक्टिविटी unrelated bonus) देने का आदेश जारी किया गया है। यह बोनस वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए है और इसे दिवाली से पहले कर्मचारियों के बैंक खातों में जमा करने का लक्ष्य रखा गया है।

बोनस देने का यह निर्णय मुख्य रूप से शासन की कर्मचारियों के प्रति सकारात्मक सोच और उनके श्रम एवं निष्ठा की सराहना के इरादे से लिया गया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य प्रशासन कर्मचारियों की मेहनत को बिजली, पानी, पेमेंट जैसे सुविधाओं की तरह अपने मूलभूत योगदान मानता है, और यह बोनस एक प्रकार की मान्यता है कि सरकार उन्हें छोड़कर नहीं बैठी है।

सूत्रों के मुताबिक इस बोनस का वित्तीय बोझ लगभग ₹1,022 करोड़ रहेगा। इसके तहत वे कर्मचारी शामिल होंगे जो पूर्णकालिक हैं, अराजपत्रित श्रेणी के हैं और जिनका पद वेतन मैट्रिक्स लेवल-8 (₹47,600–₹1,51,100) या उसी से नीचे है। इसके अलावा, राज्य निधि सहायता प्राप्त शिक्षण एवं तकनीकी संस्थानों के कर्मचारी, स्थानीय निकायों (पंचायत, नगर निकाय) के कर्मचारी, कार्यभारित एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों तक यह लाभ पहुंचने की संभावना है।

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस बोनस का भुगतान समयबद्ध रूप से सुनिश्चित किया जाएगा, ताकि कर्मचारी इस दिवाली को आर्थिक तौर पर बेहतर स्थिति में मना सकें। यह कदम विशेष रूप से महंगाई की चुनौती में राहत देने की कोशिश है, क्योंकि आम जनता और सरकारी कर्मचारियों दोनों पर आजकल भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ी कीमतें दबाव डाल रही हैं।

राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो यह घोषणा योगी सरकार की चुनावी रणनीति का भी हिस्सा हो सकती है — उसे यह संदेश देना कि सरकार कर्मचारियों और सामान्य जनता की आर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखती है। इस तरह के बोनस और भत्ते अक्सर त्योहारों के अवसर पर लोकप्रिय होते हैं और सरकार को जनसमर्थन दिलाने में सहायक होते हैं।

हालाँकि, इस घोषणा के बाद कुछ प्रश्न भी उठ सकते हैं — जैसे कि यह राशि पर्याप्त है या नहीं, क्या यह दी हुई राशि सभी कर्मचारियों तक समय पर पहुँच पाएगी, और इससे राज्य की वित्तीय स्थिति पर क्या असर पड़ेगा। इसके अलावा, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह के बोनस निरंतर नहीं, बल्कि स्थिर नीति के तहत हों ताकि भविष्य में कर्मचारियों में असम वफादारी न हो।

कुल मिलाकर, इस निर्णय से राज्य कर्मचारियों में उत्साह और उम्मीद बढ़ सकती है, और दिवाली की आफतारशाही को हल्का किया जा सकता है। लेकिन इसके क्रियान्वयन और दीर्घकालीन असर पर नजर रखी जानी चाहिए।

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