
उत्तराखंड में 31 जुलाई 2025 को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना पूरी हुई और राज्य के 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में नतीजे घोषित किए गए। कुल 10,915 पदों के लिए 32,580 उम्मीदवार मैदान में थे और मतदान प्रतिशत 69.16 था, जिसमें महिलाओं की हिस्सेदारी उच्च रही।
इस चुनाव में सबसे बड़ी सुर्ख़ियों में रही युवा महिला और पुरुष नेताओं की जीत — जैसे पौड़ी जिले की 22 वर्षीय साक्षी, जिन्होंने बी‑टेक करने के बाद गांव लौटकर प्रधान पद पर जीत हासिल की। मुनस्यारी की ईशा भी सिर्फ 22 वर्ष की उम्र में ग्राम प्रधान बनीं और उन्होंने गाँव में शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार को प्राथमिकता देने का संकल्प जताया।
देहरादून और रुद्रप्रयाग से भी कई महिलाओं ने बड़ी जीत हासिल की—जैसे माहेश्वरी देवी (देहरादून) 258 वोटों से, आंचल पुंडीर 116 वोटों से प्रधान बनीं। चमोली में नितिन और रविंद्र को बराबर वोट (138‑138) मिले, परिणाम देने के लिए पारंपरिक ‘सिक्का उछाल विधि’ अपनाई गई, जिसमें नितिन विजयी हुआ।
भाजपा को इस चुनाव में कई झटके लगे—बीजेपी विधायक के बेटे संतोष कुमार और उनकी पत्नी पूजा देवी दोनों बड़ी हार झेल गए। वहीं कांग्रेस समर्थित और निर्दलीयों ने ग्रामीण स्तर पर मजबूत उपस्थिति दर्ज की, जिससे कांग्रेस की ग्रामीण वापसी का संकेत मिलता है।
एक परिवार के दो सदस्यों की जीत भी चर्चित रही — अल्मोड़ा के एक गांव में पति प्रधान और पत्नी क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनी गईं, जिससे पंचायत स्तर पर परिवारिक राजनीतिक पकड़ देखने को मिली।
कुल मिलाकर इस चुनाव में युवा नेतृत्व, महिला सशक्तिकरण, पारंपरिक नियमों (जैसे टॉस द्वारा फैसला) की भूमिका और राजनीतिक बदलाव सभी प्रमुख बिंदु बने। इसने स्थानीय सरकारों में बदलाव और लोकतंत्र के गहराते स्वरूप को दर्शाया।