Advertisement
मध्य प्रदेश,लाइव अपडेट
Trending

एमपी बिजली विभाग ने V-मित्र ऐप लॉन्च किया

Advertisement
Advertisement

मध्य प्रदेश (MP) बिजली वितरण कंपनियों ने बिजली चोरी, मीटर छेड़छाड़ और अन्य विद्युत अनियमितताओं के खिलाफ लड़ाई तेज करने के लिए एक अनोखी पहल की है। उन्होंने V-मित्र (V-Mitra) नामक एक मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जिसके माध्यम से आम नागरिक भी बिजली चोरी जैसी गड़बड़ियों की गुमनाम शिकायत दर्ज करा सकते हैं — और यदि उनकी रिपोर्ट सही पाई जाती है, तो उन्हें 50,000 रुपये तक का इनाम भी दिया जाएगा।

यह ऐप “जनता का ऑडिट, जनता के द्वारा, जनता के लिए” की भावना पर आधारित है। उपयोगकर्ता इसमें बिजली चोरी, गलत जियो-टैगिंग, अधिक लोड, ट्रांसफॉर्मर लिंकिंग की गलतियाँ, अवैध कनेक्शन जैसी अनियमितताओं की शिकायत कर सकते हैं। शिकायत करते समय उपयोगकर्ता फोटो और लोकेशन अपलोड कर सकते हैं, जिससे जांच प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और द्रुत हो सके। इसके अलावा, शिकायत की स्थिति (status) भी ऐप में रीयल-टाइम में ट्रैक की जा सकती है।

इनाम की राशि न्याय के आधार पर तय होती है। जहां अनियमितता मामूली हो (जैसे गलत टैगिंग या लोड मिसमैच), वहाँ प्रति किलोवाट 10 रुपये से 25 रुपये तक का भुगतान किया जा सकता है। लेकिन गंभीर मामलों जैसे चोरी या मीटर छेड़छाड़ में यह इनाम 50,000 रुपये तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट सत्यापित होने के बाद, इनाम सीधे शिकायतकर्ता के बैंक खाते में भेजा जाता है।

वर्ष 2025 में इस ऐप के शुरुआती 100 दिनों में लगभग 30,000 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से लगभग 17,200 की जांच की गई और 3,850 मामलों में अनियमितता पुष्टि हुई। इन मामलों में विभाग ने उन अपराधियों पर 4.64 करोड़ रुपये के बिल जारी किए और अब तक लगभग 23 लाख रुपये वसूले भी गए हैं।

साथ ही, उन विभागीय कर्मचारियों पर जहां गड़बड़ी पाई गई, उन्हें भी दंडित किया गया है: कुछ मामलों में 3.25 लाख रुपये का प्रोविजनल पेनल्टी लगाया गया और 91 मामलों में 26,000 रुपये वसूले गए।

विश्लेषण करें तो यह पहल बिजली चोरी के खिलाफ एक नया तरीका पेश करती है — पारंपरिक पुलिस या विभागीय नोटिस देने की बजाय, आम नागरिकों को निगरानी का एक सक्रिय हिस्सा बनाया गया है। इससे न सिर्फ गुमनामी की गारंटी मिलती है, बल्कि इनाम के जरिये लोगों को जागरूक और भागीदार बनने की प्रेरणा भी मिलती है।

इसके अलावा, यह कदम राज्य की विद्युत वितरण कंपनियों के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमंद हो सकता है: चोरी (non-technical losses) कम होने से राजस्व बढ़ने की संभावना है। वहीं, जनता की भागीदारी से पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्ट गतिविधियों की पहचान पहले हो सकेगी।

हालाँकि, इस मॉडल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि विभाग शिकायतों की जांच में कितनी त्वरित और निष्पक्षता दिखाता है, और यह सुनिश्चित कर पाता है कि पुराने “नेटवर्क इनसाइडर्स” (जिनमें कर्मचारी भी हो सकते हैं) परेशान न हों। अगर यह रणनीति कारगर साबित होती है, तो यह अन्य राज्यों के बिजली वितरण विभागों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
YouTube
LinkedIn
Share