इस सप्ताह के सत्र में संसद (लोकसभा/राज्यसभा) में देश के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगाँठ को ध्यान में रखते हुए एक विशेष चर्चा आयोजित की जाएगी। सरकार ने इसके लिए दस घंटे का समय तय किया है, और इस बहस में नरेन्द्र मोदी भी भाग लेंगे। इस प्रस्ताव को पारित करने की सहमति सर्वदलीय बैठक में बनी, जिसमें सभापति ओम बिड़ला तथा संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजिजू की भूमिका प्रमुख रही।
सरकार ने कहा है कि यह प्रस्ताव सिर्फ गीत की पुरानी याद ताज़ा करने तक सीमित नहीं है — बल्कि यह भारत के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और राष्ट्रीय एकता की भावना को फिर से जगाने का एक प्रयास है। वंदे मातरम् गीत को 1870-80 के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था, और इसके बाद यह स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख नारा बन गया। 1950 में इसे राष्ट्रगीत के रूप में अपनाया गया था।
हालाँकि, सत्र की शुरुआत विवादों के बीच हुई है। विपक्षी दलों का ध्यान अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों — जैसे कि मतदाता सूची सुधार (SIR), आंतरिक सुरक्षा, लेबर कोड, आदि — की ओर है, और उन्होंने कहा है कि यदि उन विषयों पर चर्चा नहीं होगी तो वे सदन चलने नहीं देंगे।
फिर भी, सरकार का कहना है कि वंदे मातरम् पर चर्चा से देश के नागरिकों में एकता, सम्मान और साझा पहचान की भावना को मजबूती मिलेगी। उन्होंने सभी दलों से इस बहस में भाग लेने का आग्रह किया है।
इस प्रकार, आने वाले दिनों में संसद में वंदे मातरम् की धड़कन सुनने को मिलेगी — लेकिन यह बहस सिर्फ गीत पर नहीं रहेगी, बल्कि भारत के इतिहास, संस्कृति, राजनीतिक दृष्टिकोण, और लोकतंत्र की मजबूती पर भी होगी।
