
Virat Kohli ने रचा इतिहास, 74* की पारी और रिकॉर्ड-तोड़ साझेदारी से भारत को धमाकेदार जीत
भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए तीसरे एकदिवसीय मुकाबले में भारत ने भले ही सीरीज़ गंवा दी हो लेकिन अंत में जीत के साथ कम-से-कम आत्मविश्वास जरूर पाया। इस मुकाबले में खास रूप से दो नाम चमके — कप्तान Rohit Sharma और Virat Kohli।
मैच की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया द्वारा की गई थी, जिन्होंने पहले बल्लेबाजी करते हुए 46.4 ओवर में 236 रन पर अपनी पारी समाप्त की। इसके बाद भारत ने 38.3 ओवर में मात्र एक विकेट खोकर 237 रन का पीछा किया और इस तरह 9 विकेट से जीत दर्ज की।
Virat Kohli ने इस मैच में 74 रन नाबाद की पारी खेली। यह पारी इसलिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि इससे उन्होंने Kumar Sangakkara को पीछे छोड़ा और वन-डे में ऑलटाइम दूसरे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज बन गए।
साथ ही, उन्होंने अपने दीर्घकालीन साथी रोहित शर्मा के साथ 168 रन की नॉट-आउट साझेदारी बनाई — इस साझेदारी ने उन्हें Sachin Tendulkar एवं Sourav Ganguly की बराबरी पर ला खड़ा किया है, क्योंकि यह उनकी 150+ रन की साझेदारी का 12वाँ मौका था।
रोहित शर्मा ने शानदार अंदाज में 121 * (नाबाद) रन बनाये और इस पारी के दौरान उन्होंने कई रिकॉर्ड्स भी तोड़े।
इस जीत से भारत ने सीरीज़ तो नहीं जीती, लेकिन मैच को जोरदार अंदाज में खत्म किया — और दर्शकों को यादगार मोमेंट दिए। इसे एक तरह से “भविष्य-दृष्टि” के रूप में देखा जा सकता है, क्योंकि इन दोनों बल्लेबाजों के करियर के इस पड़ाव पर वे अपने अनुभव के साथ-साथ अभी भी धाक जमाने की क्षमता दिखा रहे हैं।
इस पारी के विश्लेषण पर नज़र डालें तो:
Kohli ने पहले दो मैचों में संघर्ष के बाद इस मैच में वापसी की, जो कि मनोबल के लिहाज़ से महत्त्वपूर्ण रहा।
उनकी 74*-की पारी ने बल्लेबाजी क्रम को मजबूती दी और निडरता दिखाई।
रोहित-कोहली की साझेदारी ने मुकाबले में वह बढ़त दी जो बाकी टीमों में कमी दिखती रही थी।
गेंदबाजी विभाग में भी भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 236 तक रोकने में सफल रही, जिससे लक्ष्य आसान हो गया था।
मैदान और स्थिति दोनों ओरायन गुज़र रही थी, लेकिन टीम इंडिया ने बेहतर पचाने का काम किया।
फिर भी, यह जीत निष्पक्ष रूप से बताती है कि भारत को निरंतरता की आवश्यकता है — सिर्फ एक बेहतरीन मैच से बेहद बड़ी सफलता नहीं मिल जाती। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रिकॉर्ड्स बनाना आसान नहीं रहा, और इस पारी ने यह दिखाया है कि अगर अनुभवी बल्लेबाज अपनी क्षमता से खेलें, तो टीम को फायदा होता है।
आगे देखें तो यह सवाल उठता है कि इस जीत के बाद टीम इंडिया कैसे आगे बढ़ेगी — क्या इस तरह की प्रदर्शन नियमित हो पाएगा? क्या युवा खिलाड़ियों को भी यह उदाहरण प्रेरित करेगा? और क्या ऑस्ट्रेलिया जैसे घरेलू प्रतिद्वंद्वी के सामने यह श्रेष्ठता जारी रहेगी?



