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काबुल ने पाकिस्तानी रक्षा मंत्री समेत उच्च अधिकारियों को वीजा देने से किया इनकार

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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल ने एक बड़े कूटनीतिक कदम के तहत पाकिस्तान के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को वीजा प्रदान करने से साफ इनकार कर दिया है। इस प्रतिनिधिमंडल में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ, आईएसआई प्रमुख आसिम मलिक तथा दो अन्य सीनियर जनरल शामिल थे। पिछले तीन दिनों से ये अधिकारी वीजा आवेदन कर रहे थे, लेकिन काबुल सरकार ने लगातार उनका अनुरोध खारिज कर दिया है।

यह कदम दोनों देशों के बीच पहले से व्याप्त तनाव को और बढ़ा सकता है। अफगानिस्‍तान की इस्लामी अमीरात (IEA) ने बताए अनुसार, पाकिस्तान द्वारा किए गए हालिया हवाई हमलों और वायु क्षेत्र के उल्लंघनों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। उन्‍होंने यह तर्क दिया कि जब अफगान नागरिकों पर हमले हो रहे हों, तो पाकिस्तान के अधिकारियों को काबुल में प्रवेश देना स्वीकार नहीं किया जा सकता।

पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की यह मांग, जो कि हिंसा बजाए संवाद की दिशा में कदम बढ़ाने का प्रतीक मानी जा सकती थी, अफगानिस्तान ने ठुकरा दी है। इससे यह संकेत मिलता है कि काबुल, पाकिस्तान की वायु आक्रमणों और क्षेत्रीय दखलअंदाज़ी के खिलाफ अधिक सख्त रुख अपनाना चाहता है। इस फैसले को कूटनीतिक अपमान के रूप में भी देखा जा रहा है, क्योंकि वीजा अस्वीकृति एक तरह का संदेश है कि बातचीत की शर्तें मित्रदेश की इच्छानुसार नहीं होंगी।

विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार के निर्णय से दोनों देशों के बीच संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो सकते हैं। सीमाओं पर तनाव, आतंकवादियों के पनाह की gegenseitig आरोप-प्रत्यारोप, वायु क्षेत्र उल्लंघन — ये सभी मसले पहले से ही दोनों पक्षों के बीच छुपे हुए विवाद के केंद्र में रहे हैं। इस वीजा इनकार ने शायद यह स्पष्ट कर दिया है कि अफगानिस्तान इस तरह की घटनाओं को अनदेखा नहीं करेगा और यदि आवश्यकता पड़ी, तो कूटनीतिक उपाय भी असाधारण होंगे।

इस घटना के बाद यह देखना रोमांचक रहेगा कि पाकिस्तान कैसे प्रतिक्रिया देता है — क्या वह कूटनीतिक मोर्चे पर अपने कदम आगे बढ़ाएगा, या इस विवाद को बढ़ने देगा। यह घटना दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सुरक्षा एवं सिद्धांतों पर आधारित विदेशी नीतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जाएगी।

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