बीते दिनों बिहार में मतदाता सूची (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर चल रहे विवादों ने विपक्ष और चुनाव आयोग (EC) के बीच फिर से टकराव पैदा कर दिया है।
राहुल गांधी और INDIA ब्लॉक के अन्य नेताओं ने कांग्रेस की एक बैठक में आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और भाजपा ने मिलकर बिहार और अन्य राज्यों में वोटर रोल में धांधली की। उन्होंने ‘वोट चोरी’ की गंभीर बात कहते हुए, 48 लोकसभा सीटों पर 2024 के चुनाव में अनियमितताएं हुई थीं, जिनके प्रमाण चरणबद्ध तरीके से सार्वजनिक किए जाएंगे। वह यह दावा भी उठा चुके हैं कि 70 वर्ष की एक महिला ने फॉर्म-6 इस्तेमाल कर एक ही नाम पर दो वोट डाले, लेकिन चुनाव आयोग ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि वह दस्तावेज़ मतदान अधिकारी द्वारा जारी नहीं किया गया था और सावधानीपूर्वक जांच की मांग की है।
इसके अलावा, INDIA ब्लॉक ने संसद से सटे इलाके में चुनाव आयोग कार्यालय तक मार्च निकाला लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया और कई विपक्षी नेता—including राहुल गांधी—को संक्षिप्त रूप से हिरासत में लिया गया।
इस बीच, बिहार में विशेष श्रम संक्षिप्त (SIR) के तहत लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने की खबरों पर तृणमूल कांग्रेस और DMK ने चुनाव आयोग को आरोपों का सामना करने के लिए कहा। DMK ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया और कहा कि यह कदम “वोटरों का व्यापक बहिष्कार” जैसा है।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में EC की ओर से विरोध में पेश पक्ष (जैसे सिंग्हवी) ने दावा किया कि दस्तावेज़ की सूची अस्वीकृत और पक्षपाती है, मगर न्यायालय ने कहा कि यदि केवल एक दस्तावेज़ मांगा जा रहा है तो वह वोटर-फ्रेंडली है, न कि विलोपनकारी कदम।
राज्यसभा में भी विपक्ष ने SIR को मुद्दा बनाते हुए अवलोकन मांगा, जिससे सदन में हलचल हुई और समय-समय पर चर्चा को स्थगित करना पड़ा।
मतदाता सूची को लेकर यह सियासी उठा-पटका चुनाव से पहले लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को भी चुनौती दे रहा है।