
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी से वायरल हुआ जिसमें दावा किया गया कि भारतीय सरकार ने व्हाट्सऐप व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि की कॉल्स और चैट्स को रिकॉर्ड और सेव करने का आदेश जारी किया है। साथ ही, इसमें कहा गया था कि उपयोगकर्ता की गतिविधियों को ट्रैक करना शुरू कर दिया गया है। परंतु पीआईबी फैक्ट चेक ने इस दावे की पूरी तरह से खंडन किया है और इसे फ़र्जी बताया है, स्पष्ट किया गया है कि सरकार ने ऐसी किसी गाइडलाइन या नियमों की घोषणा नहीं की है।
वायरल मैसेज में यह भी दावा किया गया था कि “11‑पॉइंट कम्युनिकेशन गाइडलाइन्स” में उल्लिखित नियमों के तहत वॉट्सऐप कॉल्स रिकॉर्ड की जाएंगी, सभी सोशल मीडिया मॉनिटर किए जाएँगे, और अगर कोई राजनीतिक या धार्मिक विषय पर पोस्ट करता है तो गिरफ्तारी भी हो सकती है। हालांकि ये सब आरोप बिन आधार के हैं।
वास्तविकता यह है कि वॉट्सऐप की एंड‑टू‑एंड एन्क्रिप्शन नीति के कारण प्लेटफॉर्म कॉल की सामग्री नहीं देख सकता, न सुन सकता है और न ही सेव कर सकता है। WhatsApp और सरकार दोनों ने साफ कहा है कि ऐसी कोई निगरानी नहीं हो रही है। किसी प्रकार की “तीन-चैक्स” प्रणाली भी मौजूद नहीं है जैसा कि मैसेज में दावा किया गया था।
इस घटना ने एक बार फिर बताता है कि कैसे बिना सत्यापन मैसेज भेजे या शेयर किए जाते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि पहले संदेश की विश्वसनीयता जाँची जाए—जैसे forwarded label, fact-check साइट्स, आधिकारिक बयान—और फिर ही आगे साझा करें। गौरतलब है कि वॉट्सऐप और अन्य प्लेटफ़ॉर्म पर फैक्ट-चेक संसाधन उपलब्ध हैं जो ऐसे संदेशों को पहचानने में मदद करते हैं।