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ADGP यु. पूरण कुमार मामले में डीजीपी हटाने और गिरफ्तारी की मांग की

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हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वाई पूरण कुमार की आत्महत्या के बाद इस विवादित मामले में सामाजिक और राजनीतिक दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है। आत्महत्या की घटना के बाद परिवार और दलित संगठनों की मांगें साफ हैं — दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। इसी बीच, न्याय संघर्ष मोर्चा नामक समूह ने चंडीगढ़ में एक महापंचायत का आयोजन किया और इस दौरान 31 सदस्यीय कमिट‎ी का गठन किया गया। इस कमेटी ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर को तुरंत पद से हटाने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है।

महापंचायत सेक्टर-20 स्थित गुरु रविदास भवन में दोपहर 3 बजे शुरू हुई। आयोजन में यह निर्णय लिया गया कि यदि 48 घंटे के भीतर सरकार इस मांग को नहीं मानती है, तो आंदोलन तेज किया जाएगा। इसके तहत चंडीगढ़ में सफाई व्यवस्था बंद करने, प्रदर्शन और अन्य विरोध गतिविधियाँ शुरू करने की चेतावनी दी गई।

महापंचायत के दौरान राजनीतिक समीकरणों के बीच तनाव का माहौल भी देखने को मिला। पूर्व सांसद राजकुमार सैनी ने एक विवादित बयान दिया: “हम वाल्मीकि की पूजा करते हैं, वो स्वयं ब्राह्मण थे।” इस बात पर कई लोग बरस पड़े और विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। आयोजकों ने तुरन्त स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया।

समिति के अध्यक्ष रिटायर्ड प्रो. जय नारायण ने कहा कि सरकार को 48 घंटे के अंदर डीजीपी को हटाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शाम तक पंजाब के राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा। यदि समय पर कार्रवाई नहीं हुई, तो कमेटी अगले कदमों पर विचार करेगी।

संघर्ष समिति ने यह भी कहा कि अभी तक परिवार और सरकार के बीच कोई ठोस सहमति नहीं बनी है। परिवार प्रमुख मांग के रूप में यह चाहते हैं कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक के एसपी को गिरफ्तार किया जाए।

31 सदस्यीय कमेटी में शामिल सदस्यों की सूची भी सार्वजनिक की गई है: चौधरी लहरी सिंह, राजेश कालिया, ओपी चोपड़ा, अमित खेरवाल, बृज पाल, रवि गौतम, मुकेश कुमार, ओपी इंदल, प्रो. जय नारायण, गुरमिल सिंल, त्रिलोक चंद, रेशम सिंह, जय भगवान राठी, प्रवीन टांक, सुरेश बेनीवाल, रवि कुंडली, सुरेंसिंहद्र खुडडा, समदेश वैद, गौतम भोरिया, दिनेश वाल्मीकि, एडवोकेट कृती, सुनील बागड़ी, राज कपूर अहलावत, कृष्ण कुमार, करमवीर वौध और डॉ. रीतू आदि।

महापंचायत से पहले, पूरण कुमार की पत्नी अमनीत पी. कुमार व अन्य वरिष्ठ अधिकारी, गृह विभाग की सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा भी मौजूद थीं। बैठक करीब तीन घंटे चली। बाद में अमनीत और उनका भाई सरकारी आवास लौटे। चंडीगढ़ एसएसपी कंवजीत कौर भी स्थिति पर नजर बनाए हुए थीं।

संघर्ष समिति ने यह निशाना भी लगाया कि जो खबरें सरकार द्वारा फैलाई जा रही हैं कि पूरण कुमार की बेटी को नौकरी दिलाई जाएगी — ये सभी “भ्रमपूर्ण” और “बेबुनियाद” हैं। उनका कहना है कि ऐसे दावे आंदोलन को कमजोर करने का साधन हैं।

यह मामला अब सिर्फ एक अधिकारी की मौत तक सीमित नहीं रहा — यह सामाजिक विषमताओं, शक्ति-संरचनाओं और मनोवैज्ञानिक दबावों के प्रश्न खड़ा कर चुका है। जहां एक ओर दलीय और सामाजिक संगठन न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार और पुलिस पर यह दबाव है कि वे निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कर दिखाएँ।

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