यमुना एक्सप्रेसवे पर शनिवार की सुबह एक भयावह घटना सामने आई, जहां एक प्राइवेट बस अचानक आग की चपेट में आ गई। बस नोएडा की ओर से चल रही थी और उसमें लगभग 50 यात्री सवार थे। जैसे ही आग लगी, घबराहट फैल गई और कई लोगों ने खुद को बस से कूदकर सुरक्षा की ओर भागना बेहतर समझा। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि लंबी दूरी की बस सेवाओं में सुरक्षा उपाय कितने प्रभावी बनाए गए हैं।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, बस की पिछली ओर से अचानक धुआँ निकलने लगा और थोड़ी ही देर में वह आग की लपटों में घिर गई। यात्रियों ने बताया कि कुछ ही पलों में आग इतनी तीव्र हो गई कि बस पूरी तरह पकड़ में न रही। ड्राइवर ने जब बस को रोकने की कोशिश की, तब तक कई यात्री पहले ही खिड़कियों और दरवाजों से बाहर छलांग लगाने लगे। कुछ लोग सीधे साइड डोर से कूदे, तो कुछ ने खिड़की तोड़ कर बाहर निकलने की कोशिश की।幸運 से, अभी तक किसी यात्री के हताहत होने की खबर नहीं आई है।
दमकल और पुलिस की टीम को सूचना मिलने पर तुरंत घटनास्थल पर रवाना किया गया। आग बुझाने में उन्हें कई मिनट लगे लेकिन तब तक बस का अधिकांश हिस्सा जल चुका था। स्थानीय प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस ने एक्सप्रेसवे के उस हिस्से को कुछ समय के लिए बंद कर दिया ताकि राहत एवं बचाव कार्य सुचारू रूप से चल सके। इस दौरान यात्रा रुकावटों का सामना करना पड़ा।
आग लगने का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन प्रारंभिक अनुमान शॉर्ट सर्किट या बिजली से संबंधित समस्या की ओर झुकते हैं। ऐसा भी बताया गया है कि कोई वस्तु — संभवतः सामान या बैगेज — आग की शुरुआत का केंद्र हो सकती है, क्योंकि घटना स्थल बस की पिछली ओर थी। जांच अधिकारियों ने बस की वायरिंग, इलेक्ट्रिकल प्रणाली और इंजन कनेक्शनों की स्थिति की समीक्षा शुरू कर दी है।
यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं है, बल्कि बस सफर करने वालों के लिए चेतावनी भी है — लंबी दूरी पर यात्रा करते समय बस की मेंटेनेंस, अग्नि सुरक्षा उपकरणों की उपस्थिति और चालक की तत्परता कितनी महत्वपूर्ण है। यदि समय पर अधिकारी नहीं पहुंचे होते, या यात्रियों में घबराहट न हो, तो परिणाम और भयावह हो सकते थे।
अगले कुछ घंटों में यह देखा जाना है कि जांच एजेंसियाँ क्या निष्कर्ष निकालेंगी — दोष किसी तकनीकी खराबी का होगा या मानवीय लापरवाही का। इसके अलावा, परिवहन विभाग को यह तय करना होगा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए किन मानकों को अनिवार्य रूप देना चाहिए — जैसे कि अग्निशमन यंत्र, नियमित तकनीकी निरीक्षण, यात्रियों के लिए निकासी योजना आदि।
