उत्तराखंड ने हाल ही में एक विवादित विधेयक को मंजूरी दी है, जिसे ‘उनिफॉर्म सिविल कोड बिल’ (UCC बिल) के रूप में जाना जाता है। इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं, जो समाज के विभिन्न पहलुओं पर सीधा प्रभाव डालेंगे। इसमें शादी के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन कराने की अनिवार्यता, रजिस्ट्रेशन न कराने पर पेनल्टी और तलाक के प्रावधान भी हैं।
यह विधेयक मैरिज रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाता है। अब से पहले उत्तराखंड में मैरिज रजिस्ट्रेशन वैकल्पिक था, लेकिन अब यह अनिवार्य हो जाएगा। इसमें शादी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने की अवधि भी निर्धारित की गई है। इसके अनुसार, शादी के बाद के एक साल के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति मैरिज रजिस्ट्रेशन नहीं कराता है, तो उसे पेनल्टी देनी होगी। इस विधेयक के तहत, अगर किसी को मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए अपने विवाहित पति या पत्नी की ओर से आवेदन करने के लिए कहा जाता है, और वह आवेदन नहीं करता है, तो उसे तलाक के लिए अधिकार नहीं होगा। यह विधेयक तलाक को भी प्रभावित करेगा, क्योंकि शादी के एक साल के भीतर रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले व्यक्ति को तलाक नहीं दे सकेंगे।
उत्तराखंड के UCC बिल में मैरिज रजिस्ट्रेशन की पेनल्टी और तलाक के प्रावधान के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान भी हैं। इस विधेयक को लागू होने के बाद, यह देश में एक नया मानदंड स्थापित करेगा और शादी के संबंध में कई मुद्दों को सुलझाएगा।