Gonda News: आज गोंडा के तरबगंज में बृजभूषण सिंह के कॉलेज में ही प्रतिभा सम्मान समारोह का कार्यक्रम था। इसमें अयोध्या से संत भी आए हुए थे। कार्यक्रम के दौरान मंच पर बैठे एक संत ने गाना गाना शुरू किया। गाने की लाइनें थीं…“मुस्कराने के दिन हैं न आहें भरो, खुश रहो हर खुशी है तुम्हारे लिए, छोड़ दो आंसुओं को हमारे लिए”।
इसे सुनकर संत के बगल में बैठे बृजभूषण सिंह फफक कर रो पड़े। यह देखकर मंच पर मौजूद उनका पोता उनके पास आया और दादा के पास बैठ गया। वह उनके कंधे पर हाथ रखकर उनको शांत करवाने लगा। इसके बाद सांसद ने मेज पर रखा तौलिया उठाकर अपने आंसू पोछे।
संत के गाना गाने के बाद बृजभूषण सिंह ने कहा- जिसने मरना सीख लिया जीने का अधिकार उसी को है। कोई मुझे 65 का बताता है, कोई 66 का…इस उम्र का आदमी, तो बिस्तर पर लेट जाता है। लेकिन मैं आपके आगे हाथ जोड़े खड़ा हूं।
उन्होंने कहा कि मैं तो लगभग 70 पहुंचने वाला हूं और नौजवानों से जंग कर रहा हूं और 7 महीने से कर रहा हूं। कोई कहीं से निकल कर आ गया कोई कहीं से। दे मार, दे मार, दे मार…नेता जी और नेता जी ललकारते हैं जय श्रीराम।