1929 का वो किस्सा, जब गोंडा आए थे राष्ट्रपिता
1929 का वो किस्सा, जब गोंडा आए थे राष्ट्रपिता
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने गोंडा में एक सभा की। इससे पूरा क्षेत्र प्रभावित हुआ और उनके पीछे चल पड़ा। आइए जानते हैं क्या था साल 1929 का वो किस्सा…
इटली से मंगाई गई थी, गांधी जी की यह प्रतिमा
देश भर में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिवस भी मनाया जाता है। आजादी से पहले महात्मा गांधी देश को आजाद करने के लिए सन 1929 में गोंडा पहुंचकर जन चेतना जगाई थी। उसके बाद महात्मा गांधी की याद में यहां पर उनकी प्रतिमा लगाने का निर्णय हुआ। जिस पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई। उसे पार्क का नाम एडवर्ड पार्क था। बाद में इसे गांधी पार्क का नाम दिया गया।
ब्रिटिश शासन से देश को आजाद कराने में महात्मा गांधी ने पूरे देश में जन चेतना जगाई। 2 अक्टूबर को देश भर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के योगदान को ताजा करने के लिए हम गांधी जयंती के रुप में उनका जन्मदिन मनाते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का गोंडा से विशेष नाता रहा है। सन 1929 में महात्मा गांधी ने गोंडा पहुंचकर आजादी के क्रांतिकारी वीरों में जोश भर दिया था। देश की आजादी में गोंडा के शूरवीरों का भी बड़ा योगदान रहा। गोंडा शहर के बीचों-बीच मालवीय नगर स्थित पार्क की स्थापना आजादी से पहले 1902 में हुई थी। अंग्रेजों ने उस समय इस पार्क का नाम एडवर्ड पार्क रखा था। सन 1947 में जब देश आजाद हुआ। तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि स्वरूप गोंडा में उनकी प्रतिमा स्थापित करने का आजादी से जुड़े लोगों ने निर्णय लिया। प्रतिमा स्थापित करने के लिए एक कमेटी बनाई गई। जिसके अध्यक्ष लाल बिहारी टंडन रहे।
इटली से वायुयान से मंगाई गई प्रतिमा
कमेटी के अध्यक्ष लाल बिहारी टंडन ने लखनऊ के गवर्नमेंट आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स कॉलेज लखनऊ के प्रिसिपल राय चौधरी से मिलकर मॉडल तैयार कराया। इटली के शिल्पकार एंटोनियो मारजोलो ने प्रतिमा और उसका आधार स्तंभ तैयार कराया। उस वक्त प्रतिमा निर्माण पर 50 हजार रुपये, आधार निर्माण पर बीस हजार रुपये तथा वायुयान से प्रतिमा लाने पर 5 हजार रुपये खर्च किए गए थे। साढ़े नौ फीट ऊंची इस प्रतिमा का अनावरण वर्ष 1950 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडितगोविद वल्लभ पंत ने की थी। कुछ समाजसेवियों का कहना है कि एशिया में महात्मा गांधी की संगमरमर की सबसे ऊंची प्रतिमा है। इसे इटली में बनवाया गया था। उस वक्त प्रतिमा को वायुयान से यहां लाया गया था। महात्मा गांधी गोंडा सिर्फ एक बार आए। लेकिन उनके गोंडा आने की याद शहर के गांधी पार्क पहुंचने पर ताजी हो जाती। गोंडा जिले का यह मशहूर पार्क है।
राष्ट्रपिता के विचारों से प्रभावित होकर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े यहां के क्रांतिकारी
महात्मा गांधी के संबोधन और उनके विचारों से प्रभावित होकर गोंडा के सैकड़ो क्रांतिकारी आजादी के आंदोलन में कूद पड़े। इनमेंअधिवक्ता शांती प्रसाद शुक्ल, सालिक राम, कमला प्रसाद शुक्ल, हरिहर प्रसाद वर्मा, बाबा राम खेलावन दास, वंशीधर मिश्र, वेणीधर मिश्र, उदयी सिंह, राजा राम, रोहणी प्रसाद वर्मा, राम दुलारे, राजेश्वर सिंह, राम समुझ सिंह, वंशराज सिंह, गया प्रसाद पांडेय, राजा राघवेंद्र प्रताप सिंह, रघुपति शर्मा, सरजू सिंह, अनिरुद्ध रघुराज सिंह, भानुप्रताप तिवारी, बाबू ईश्वर शरण, लाल विहारी टंडन, अयोध्या प्रसाद, अर्जुन प्रसाद, अवधराज सिंह, सोहरत सिंह, सकटू, हर प्रसाद, अयोध्या हलवाई, ओम प्रकाश काली प्रसाद सहित सैकड़ों क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में अपनी आहुतियां दी हैं।