
चीन ने हाल ही में ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद मध्य-पूर्व की स्थिति पर चिंता जताई है। बीजिंग ने सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान किया है और क्षेत्र में शांति बनाए रखने की बात कही है। हालांकि, चीन की विदेश नीति में किसी भी तरह का सीधा सैन्य हस्तक्षेप शामिल नहीं रहा है।
चीन की लगभग 40 प्रतिशत तेल आपूर्ति खाड़ी क्षेत्र पर निर्भर है, इसलिए अगर संघर्ष बढ़ा तो उसे आर्थिक नुकसान हो सकता है। स्ट्रेट ऑफ हॉरमूज़ जैसे महत्वपूर्ण तेल मार्ग की सुरक्षा चीन के लिए रणनीतिक प्राथमिकता है। इसी कारण से चीन ने युद्ध में सीधे दखलअंदाजी करने से बचने का रुख अपनाया है।
हालांकि चीन ने ईरान को मिसाइल प्रोपेलेंट सप्लाई की है और उसकी नौसेना नियमित रूप से रूस व ईरान के साथ संयुक्त सुरक्षा अभ्यास करती है। चीन के पास उन्नत मिसाइल और विध्वंसक जहाज हैं, लेकिन फिलहाल 5000 किलोमीटर दूर इस क्षेत्र में सीधे सैन्य हस्तक्षेप करना चीन की रणनीति के खिलाफ होगा।
इसलिए फिलहाल चीन कूटनीतिक स्तर पर संघर्ष को हल करने की कोशिश कर रहा है, ताकि अपनी आर्थिक और सैन्य हितों को सुरक्षित रख सके।