
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका में प्रस्तावित रूस प्रतिबंध विधेयक (Sanctioning Russia Act of 2025) पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने साफ कहा है कि भारत ने इस विधेयक से जुड़ी ऊर्जा सुरक्षा संबंधी चिंताओं को अमेरिकी प्रशासन और सांसदों के समक्ष स्पष्ट रूप से रखा है।
यह बिल अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें रूस से तेल, गैस और यूरेनियम खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने का प्रस्ताव है। यह बिल सीधे तौर पर भारत और चीन जैसे देशों को प्रभावित कर सकता है, जो रूस से बड़ी मात्रा में ऊर्जा आयात करते हैं।
क्या कहा जयशंकर ने?
एस. जयशंकर ने अमेरिका यात्रा के दौरान कहा,
“कोई भी ऐसा कदम जो हमारे हितों को प्रभावित कर सकता है, वह हमारे लिए महत्त्वपूर्ण है। भारत ने अमेरिकी सीनेटर ग्राहम से सीधे बात की है और अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर स्पष्ट विचार साझा किए हैं। अगर भविष्य में इस पुल को पार करना पड़े, तो हम तैयार हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार और वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास लगातार अमेरिकी सांसदों के संपर्क में हैं और स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं।
क्या है यह बिल?
“Sanctioning Russia Act of 2025” का उद्देश्य रूस पर दबाव बनाकर यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना है। बिल में रूस से तेल-गैस आयात करने वाले देशों पर भारी शुल्क लगाने की बात कही गई है। हालांकि इसमें एक राष्ट्रपति छूट प्रावधान भी है, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति किसी देश को अस्थायी या स्थायी रूप से टैरिफ से छूट दे सकते हैं।
भारत पर असर
भारत रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता है, जो उसकी कुल ऊर्जा जरूरतों का लगभग 40–45 प्रतिशत है। मई 2025 में भारत ने रूस से प्रतिदिन 1.96 मिलियन बैरल तेल आयात किया। ऐसे में यदि यह बिल पारित होता है और टैरिफ लागू किए जाते हैं, तो भारत को आर्थिक और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत-अमेरिका मुक्त व्यापार वार्ता पर भी असर डाल सकता है, जिसे दोनों देश हाल ही में गति देने की कोशिश कर रहे थे।