
महाराष्ट्र की राजनीति में ऐतिहासिक दिन आने वाला है। करीब 20 साल बाद ठाकरे परिवार के दो ध्रुव – राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे – शनिवार को एक ही मंच पर नजर आएंगे। दोनों नेता मराठी अस्मिता और स्थानीय मुद्दों को लेकर मुंबई में आयोजित मेगा रैली में शामिल हो रहे हैं।
राज ठाकरे की पार्टी मनसे (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) ने मराठी युवाओं को रोज़गार में प्राथमिकता दिलाने और ‘मराठी मानूस’ की आवाज़ बुलंद करने के मकसद से यह रैली बुलाई है। माना जा रहा है कि राज्य में बढ़ती बेरोजगारी, बाहरी मजदूरों के सवाल और मराठी भाषियों के हक़ के मुद्दे पर दोनों दल एकजुट होकर दबाव बनाने की रणनीति बना रहे हैं।
यह रैली सिर्फ मराठी अस्मिता तक सीमित नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण भी तय कर सकती है। माना जाता है कि भाजपा और शिंदे गुट के खिलाफ ठाकरे परिवार की यह एकजुटता विपक्षी मोर्चे को मजबूत कर सकती है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह गठजोड़ चुनावी स्तर तक जाएगा या केवल मराठी मुद्दों तक सीमित रहेगा।
दोनों नेताओं के बीच 2006 में राजनीतिक मतभेदों के चलते दूरी आ गई थी। राज ने अलग होकर मनसे बनाई थी। अब 18 साल बाद उनका साथ आना राज्य की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इस रैली के संदेश और भीड़ की संख्या पर टिकी है।