
बिहार की सियासत में दलित वोट बैंक को लेकर घमासान तेज हो गया है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए दलित वोटरों को साधने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
माना जा रहा है कि बसपा के इस कदम से राजद नेता तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। तेजस्वी की राजनीति का एक बड़ा आधार दलित और पिछड़ा वर्ग का वोट बैंक है। अगर बसपा इसमें सेंध लगाने में सफल हुई तो उनके मुख्यमंत्री बनने का सपना कमजोर पड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती की पार्टी बिहार में अब तक हाशिए पर रही है, लेकिन दलित वोट बैंक पर उसकी दावेदारी चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती है। बिहार में पहले ही कई दल इस वोट बैंक को लुभाने की कोशिश में हैं।
बसपा की सक्रियता ने राज्य में सियासी चर्चाओं को गर्म कर दिया है। अब सबकी नजर इस पर है कि आने वाले चुनावों में दलित वोट किस तरफ जाएगा और इसका बिहार की सत्ता के समीकरणों पर क्या असर होगा।