
वर्ल्ड एथलेटिक्स (World Athletics) ने महिला एथलीटों की पात्रता जांचने के लिए अब SRY जीन टेस्ट अनिवार्य कर दिया है। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रतियोगिता में भाग लेने वाली महिला खिलाड़ियों की जैविक लिंग पहचान स्पष्ट हो। हालांकि यह फैसला खेल जगत में एक नई बहस को जन्म दे रहा है।
SRY (Sex-determining Region Y) एक विशेष जीन होता है, जो पुरुषों के Y क्रोमोसोम में पाया जाता है और लिंग निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर किसी एथलीट के शरीर में यह जीन पाया जाता है, तो उसे महिला वर्ग में हिस्सा लेने से रोका जा सकता है।
इस फैसले से भारत की धाविका दुती चंद और दक्षिण अफ्रीका की कास्टर सेमेन्या जैसे एथलीटों के मामले फिर से चर्चा में आ गए हैं, जिन्हें पहले भी टेस्टोस्टेरोन स्तर के कारण विवादों का सामना करना पड़ा था।
विशेषज्ञों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह नियम लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा दे सकता है और ट्रांसजेंडर अथवा इंटरसेक्स खिलाड़ियों के लिए असमानता का कारण बन सकता है। वहीं, वर्ल्ड एथलेटिक्स का कहना है कि इससे प्रतिस्पर्धा की निष्पक्षता बनी रहेगी।
इस नई गाइडलाइन को लेकर वैश्विक स्तर पर एथलेटिक समुदाय में हलचल मची हुई है। कई संगठन इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और इस नियम की पारदर्शिता, वैज्ञानिकता और नैतिकता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।