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मुंबई में भारी बारिश के बीच मोनोरेल फंसी

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मुंबई में मंगलवार को हुई भारी बारिश ने एक बार फिर से शहर की रफ्तार थाम दी। इस बार परेशानी का सामना मोनोरेल यात्रियों को करना पड़ा, जब एक मोनोरेल ट्रेन तकनीकी खराबी और लगातार हो रही बारिश की वजह से चेंबूर और भक्ति पार्क स्टेशन के बीच एलिवेटेड ट्रैक पर अचानक रुक गई।

यह घटना शाम करीब 6:15 बजे हुई, जब मोनोरेल के डिब्बे अचानक बीच रास्ते में रुक गए। यात्रियों ने बताया कि ट्रेन के रुकते ही बिजली आपूर्ति बाधित हो गई और एसी काम करना बंद कर दिया। गेट लॉक हो जाने की वजह से अंदर बैठे लोगों को घुटन और घबराहट महसूस होने लगी। कई यात्रियों ने बताया कि कोच के अंदर बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत हुई, क्योंकि गर्मी और उमस लगातार बढ़ रही थी।

स्थिति बिगड़ती देख यात्रियों ने तुरंत मदद के लिए मुंबई महानगरपालिका की हेल्पलाइन 1916 पर कॉल किया। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया और फायर ब्रिगेड, मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) और बीएमसी की टीमें मौके पर पहुंचीं। रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ जिसमें स्नोर्कल व्हीकल और क्रेन की मदद से यात्रियों को एक-एक करके सुरक्षित उतारा गया। यह प्रक्रिया बेहद चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि बारिश लगातार हो रही थी और ट्रैक फिसलन भरे थे।

करीब एक घंटे तक यात्री मोनोरेल के अंदर फंसे रहे। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर बताया कि कोच में दम घुटने जैसी स्थिति थी। वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठे।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने संबंधित एजेंसियों को निर्देश दिया कि घटना की विस्तृत जांच की जाए और भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं। मुख्यमंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि मोनोरेल सेवाएं जल्द बहाल कर दी जाएंगी।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मुंबई जैसे महानगर में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था मानसून के समय बार-बार क्यों लड़खड़ा जाती है। लोकल ट्रेन और सड़क यातायात पहले से ही बारिश की वजह से बुरी तरह प्रभावित रहते हैं और अब मोनोरेल जैसी आधुनिक प्रणाली का बीच ट्रैक पर रुक जाना यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा पर गंभीर सवाल उठाता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर की ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश के बावजूद हर साल बारिश आते ही मुंबई की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। मोनोरेल हादसे से यह भी स्पष्ट हो गया कि आपात स्थिति में यात्रियों को निकालने के लिए और बेहतर योजना और उपकरणों की जरूरत है।

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