
हाल ही में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और ओडिशा राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से यह पता चला है कि वर्ष 2025 की शुरुआत में ओडिशा में सोने की महत्वपूर्ण मात्रा मिलने की संभावना स्पष्ट हुई है। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, राज्य के कई जिलों—जैसे देवगढ़ (अदासा–रामपल्ली), सुंदरगढ़, नबरंगपुर, क्योंझर, अंगुल और कोरापुट में—लगभग 10 से 20 मीट्रिक टन तक सोने का भंडार मौजूद हो सकता है।
GSI ने इन क्षेत्रों में जी3 स्तर की प्रारंभिक जांच पूरी कर ली है। अब उन्होंने जी2 स्तर की विस्तृत सैंपलिंग और ड्रिलिंग की प्रक्रिया भी तेज कर दी है, जिससे भंडार की पुष्टि और अधिक सटीक रूप से की जा सकेगी।
ओडिशा राज्य सरकार और ओडिशा माइनिंग कॉर्पोरेशन इस खोज को व्यापारिक बनाने के लिए तैयारियाँ कर रहे हैं। पहली सोना खनन की नीलामी देवगढ़ ब्लॉक में आयोजित करने की योजना है, जिसे राज्य में खनन क्षेत्र का एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
भारत में आम तौर पर सोने की आयात-संवेदनशीलता बहुत अधिक है। पिछले वर्ष देश ने लगभग 700–800 मीट्रिक टन सोना आयात किया था, जबकि घरेलू उत्पादन केवल 1.6 टन प्रतिवर्ष रह गया था (2020 में)। हालांकि ओडिशा में मिले सोने की मात्रा भारत की समग्र मांग को पूरी तरह पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, फिर भी यह स्वदेशी उत्पादन बढ़ाने की दिशा में बड़ी छलांग साबित हो सकती है।
इस खोज का स्थानीय और क्षेत्रीय विकास पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है। जैसे- रोजगार के नए अवसर, बेहतर सड़क और रेल नेटवर्क, और सार्वजनिक सेवाओं का विस्तार।
ओडिशा पहले से ही लौह अयस्क, क्रोमाइट और बॉक्साइट जैसे खनिजों में देश में अग्रणी स्थिति में है। सोने की खोज राज्य को खनिज विविधिकरण में और मजबूती प्रदान करेगी और आर्थिक स्थिरता में भी योगदान देगी।
अब आगे का रास्ता तय करना GSI, राज्य सरकार और निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है—खान की पुष्टि से लेकर नीलामी और सतत खनन तक का सुरक्षित, जिम्मेदार और लाभकारी मार्ग तय करना इससे जुड़े सार्वजनिक हित की कसौटी होगी।