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बीजेपी में पूर्वी तैयारी: बिहार चुनाव से पहले नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की उम्मीद फिर से तेज

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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में संगठनात्मक स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी दिखाई दे रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। इस बदलाव को लेकर भाजपा के भीतर गहन चर्चा हो रही है और 100 से अधिक वरिष्ठ नेताओं, जिनमें केंद्रीय पदाधिकारी, प्रदेश अध्यक्ष और संघ परिवार से जुड़े लोग शामिल हैं, से राय ली जा चुकी है।

अध्यक्ष बदलने की वजह

बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल इस साल जनवरी में समाप्त हो चुका है और उन्हें विस्तार दिया गया था। लेकिन अब पार्टी मानती है कि बिहार चुनाव जैसे महत्वपूर्ण राज्य में नए नेतृत्व के साथ उतरना संगठन और रणनीति दोनों के लिहाज से अधिक फायदेमंद होगा। सूत्र बताते हैं कि नया अध्यक्ष संगठन को ताजगी देगा और चुनाव प्रचार में एक नया चेहरा भी सामने आएगा।

बिहार चुनाव की पृष्ठभूमि

बिहार विधानसभा चुनाव को बीजेपी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। राज्य में जनता दल (यू) से अलग होने के बाद पार्टी पहली बार अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी। ऐसे में संगठन को नए सिरे से मजबूत करना, कार्यकर्ताओं में जोश भरना और मतदाताओं के बीच बेहतर संदेश देना जरूरी है। इसी वजह से अध्यक्ष पद पर बदलाव की चर्चा और तेज हो गई है।

उपराष्ट्रपति चुनाव के कारण देरी

सूत्रों के अनुसार, उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होना है और फिलहाल पार्टी की पूरी रणनीति उस चुनाव पर केंद्रित है। इस वजह से अध्यक्ष पद पर औपचारिक घोषणा में थोड़ा विलंब हो रहा है। हालांकि यह तय माना जा रहा है कि बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाएगा।

संभावित नामों की चर्चा

हालांकि पार्टी की ओर से किसी का नाम आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है, लेकिन राजनीतिक हलकों में कई नामों पर चर्चा जारी है। इनमें पार्टी के कुछ वरिष्ठ मंत्री और प्रदेश स्तर पर सफल संगठनकर्ता शामिल हैं। कहा जा रहा है कि चुनावी अनुभव और संगठनात्मक क्षमता को ही प्राथमिकता दी जाएगी।

भाजपा और आरएसएस की रणनीति

इस बदलाव के पीछे संघ और पार्टी नेतृत्व की साझा सोच है। बीजेपी और आरएसएस दोनों मानते हैं कि संगठन की मजबूती चुनावी सफलता की कुंजी है। इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन केवल राजनीतिक समीकरणों के आधार पर नहीं बल्कि संगठन की दीर्घकालिक दिशा को ध्यान में रखकर किया जाएगा।

आगे की राह

जानकारों का कहना है कि अगर नया अध्यक्ष जल्दी नियुक्त हो जाता है, तो बिहार में भाजपा का चुनाव अभियान और तेज़ हो जाएगा। वहीं, पार्टी कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाएगा कि नेतृत्व में ऊर्जा और प्रतिबद्धता बरकरार है। इससे विपक्ष के सामने भी भाजपा एक मजबूत संगठन के रूप में खड़ी होगी।

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