
हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। मंडी जिले में ब्यास नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से बढ़ गया है और इसका असर स्थानीय आबादी से लेकर ऐतिहासिक धरोहरों तक साफ दिखाई देने लगा है। मंडी शहर में स्थित लगभग 300 साल पुराना पंजवक्त्र महादेव मंदिर बाढ़ की चपेट में आ गया है। नदी का पानी मंदिर परिसर में घुस गया, जिससे श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में भारी चिंता फैल गई।
मंडी का यह मंदिर ब्यास और सुकेती खड्ड के संगम पर स्थित है और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। लेकिन इस बार नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया कि मंदिर परिसर और आसपास का बड़ा हिस्सा पूरी तरह जलमग्न हो गया। मंदिर के चारों ओर पानी भरने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी तेजी से वायरल हो रही हैं, जिन्हें देखकर लोग इस आपदा की गंभीरता समझ रहे हैं।
मौसम विभाग (IMD) ने आने वाले 48 घंटों के लिए मंडी, कांगड़ा और चंबा जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है। विभाग का कहना है कि अगले दो दिनों में अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है, जिससे अचानक बाढ़, भूस्खलन और नदियों का जलस्तर और बढ़ने की संभावना है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे नदी और नालों के पास न जाएं और अनावश्यक यात्रा से बचें।
स्थानीय प्रशासन ने भी स्थिति को गंभीर मानते हुए आपात राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों को अलर्ट पर रखा गया है। इसके अलावा, मंडी-कुल्लू राष्ट्रीय राजमार्ग पर कई जगहों पर मलबा आने से यातायात बाधित हुआ है। प्रशासन यात्रियों से अपील कर रहा है कि वे खराब मौसम में पहाड़ी मार्गों पर सफर करने से बचें।
नदी के उफान ने केवल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों को ही प्रभावित नहीं किया है, बल्कि आम जनजीवन पर भी इसका गंभीर असर पड़ा है। मंडी और आसपास के इलाकों के निचले हिस्सों में पानी घुस जाने से दुकानों और मकानों को नुकसान हुआ है। किसानों की फसलें भी बर्बाद हो रही हैं, जिससे आर्थिक नुकसान का अंदेशा गहरा गया है।
स्थानीय लोग इस स्थिति को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि मानसून के समय हर साल ब्यास नदी उफान पर आती है, लेकिन इस बार पानी का स्तर असामान्य रूप से तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने सरकार से अपील की है कि स्थायी समाधान के लिए नदी किनारे मजबूत तटबंध और जल-निकासी की व्यवस्थाओं को मजबूत किया जाए।
राज्य सरकार ने भी जिला प्रशासन को सभी जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों से कहा है कि राहत और बचाव कार्यों में कोई ढिलाई न बरती जाए और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बलों को भी लगाया जाए।
इस बीच, हिमाचल के अन्य जिलों में भी भारी बारिश से स्थिति गंभीर बनी हुई है। चंबा, कुल्लू और शिमला जिलों में भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई सड़कें बंद हो गई हैं। पर्यटकों को भी सावधानी बरतने और पहाड़ी इलाकों में फंसे होने की स्थिति में तुरंत प्रशासन से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
समग्र रूप से देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश फिलहाल प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। ब्यास नदी का यह उफान न केवल मंडी के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था और आम लोगों के जीवन को भी चुनौती दे रहा है। आने वाले दिनों में बारिश की स्थिति और खतरनाक हो सकती है, इसलिए प्रशासन और स्थानीय जनता दोनों को चौकसी बरतने की सख्त जरूरत है।