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नेपाल में बिगड़ते हालात

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नेपाल में बढ़ते राजनीतिक संकट और “Gen-Z” विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण से बाहर हो गई है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ युवा-प्रेरित आंदोलन (Gen-Z protests) ने जल्द ही भ्रष्टाचार और जवाबदेही की मांग को लेकर हिंसा का रूप ले लिया, जिसके चलते सिंह दरबार, संसद भवन और कई वरिष्ठ नेताओं के आवासों में आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं। पुलिस और सुरक्षा बलों से हुई झड़पों में अब तक कम-से-कम 20 लोगों की मौत हुई है तथा लगभग 500 लोग घायल हुए हैं। राजधानी काठमांडो समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

ऐसी अनिश्चित परिस्थितियों में नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों और पर्यटक खासी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। कुछ लोगों ने लगभग रात्रि समय पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के पानी-टंकी (Panitanki) मार्ग के जरिये भारत वापस आने को मजबूरी बताया। लौटते हुए उन्होंने कहा: “अब अच्छा लग रहा है, ऐसा लगता है कि जान वापस आ गई।”

इस बीच, भारत सरकार ने विदेश मंत्रालय (MEA) की ओर से तत्काल यात्रा सलाह जारी की है, जिसमें नागरिकों से नेपाल की यात्रा टालने और वहां पहले से मौजूद लोगों को घरों में रहने, जरूरी सावधानियाँ बरतने का निर्देश दिया गया है। साथ ही, भारतीय दूतावास, काठमांडो द्वारा सतर्कता बनाए रखने और विधिगत सहायता उपलब्ध कराने का आग्रह भी किया गया है।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस गंभीर स्थिति पर कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई। सीमा सुरक्षा बल (SSB) की सहायता से दार्जिलिंग और अन्य सक्रिय सीमावर्ती इलाकों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी को आसान बनाने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं।

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