Advertisement
उत्तर प्रदेशलाइव अपडेट
Trending

योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दी दीपों की लौ

Advertisement
Advertisement

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में आयोजित भव्य दीपोत्सव 2025 के अवसर पर गंगा-सरोयू तट पर लाखों दीयों की सृष्टि का हिस्सा बनकर एक ऐसा संदेश दिया है, जिसे उन्होंने “500 सालों के अंधकार” की समाप्ति का प्रतीक बताया है। उनके अनुसार, आज जो दीप जल रहे हैं, वे सिर्फ त्योहार की रौनक नहीं बल्कि एक लंबी सामाजिक-धार्मिक लड़ाई की विजय का रूप हैं।

कार्यक्रम की आरंभिक कुंजी यह थी कि योगी ने कहा कि वे स्थान जिन पर “रामभक्तों पर गोलियाँ चलीं थीं” आज वहीँ दीप प्रदीप्त कर रहे हैं। उन्होंने इस घटना को सनातन धर्म की लंबी लड़ाई और उसके बाद आए परिवर्तन के रूप में देखा। उन्होंने यह भी बताया कि दीपोत्सव सिर्फ एक आयोज नहीं बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान का पर्व है, जहाँ अयोध्या को पुरानी पहचान से आज नए युग की ओर ले जाया जा रहा है।

उनका यह बयान राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने इस दौरान सीधे तौर पर यह संकेत दिया कि “500 सालों की अंधकार” यानी कि लंबे समय से चले आ रहे सामाजिक-धार्मिक संघर्ष को अब समाप्ति की दिशा मिली है। इस संघर्ष में संत-महन्तों से लेकर कार्यकर्ताओं तक का योगदान रहा है, जिसे योगी ने मीमांसा के साथ याद किया।

इस कार्यक्रम में अयोध्या शहर को दीप-रोशनी से नहा दिया गया तथा गंगा-सरोयू तट पर ऐसी छटा बिखेरी गई कि सोशल-मीडिया पर भी यह चर्चा का विषय बनी। दीपोत्सव के माध्यम से सरकार ने यह प्रयास किया कि अयोध्या धार्मिक पर्यटन, सांस्कृतिक विरासत तथा समृद्धि का केंद्र बने। योगी ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य यह है कि “प्रत्येक घर में दीप जले, अंधकार न रहे”।

विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के बयानों और आयोजनों से सरकार दो-हरे उद्देश्य की पूर्ति कर रही है — एक तो धार्मिक एवं सांस्कृतिक पहचान को पुष्ट करना, दूसरा राजनीतिक रूप से भावनात्मक समर्थन जुटाना। दिसंबर में सम्पन्न होने वाले भव्य मंदिर निर्माण एवं आगामी चुनावी माहौल के मद्देनज़र इस तरह के घटनाक्रम को रणनीतिक रूप से देखा जा रहा है।

हालाँकि, इस पर कुछ आलोचनात्मक सवाल भी खड़े हो रहे हैं — जैसे कि “500 सालों का अंधकार” किस-किस संदर्भ में देखा गया है? क्या यह केवल धार्मिक-संघर्ष के संकेत हैं या वहाँ सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक पक्ष भी शामिल हैं? इन बिंदुओं पर चर्चा अभी प्रारंभिक है लेकिन स्पष्ट है कि यह बयान व्यापक विमर्श को प्रेरित करेगा।

अतः, अयोध्या में दीपोत्सव के इस आयोजन ने केवल जल-राशि नहीं बल्कि प्रतीकात्मक शक्ति का संचार किया है, जिसमें दीपों की दुनिया-प्रकाशिता, धार्मिक-संघर्ष की याद और अब आने वाले नए युग की आशा सब समाहित हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
YouTube
LinkedIn
Share