Advertisement
बिहारलाइव अपडेट
Trending

Prashant Kishor ने कहा- पहले चरण में उच्च मतदान बदलाव का संकेत, बिहार में मतदाता सक्रिय

Advertisement
Advertisement

बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में दर्ज उच्च मतदान को लेकर राजनीतिक रणनीतिकार Prashant Kishor ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने मतदान-दर के इस उछाल को “तीस साल में सबसे अधिक” करार दिया और इसे राज्य में व्यापक बदलाव की दिशा में एक संकेत माना है।

पहले चरण में मतदान सम्पन्न होते ही, मतदाता सक्रिय दिखाई दिए। रिपोर्ट्स के अनुसार 18 जिलों में 121 सीटों के लिए लगभग 60 % से 64 % के बीच मतदान हुआ है।  Prashant Kishor ने इसे “बदलाव आने वाला है” कहकर परिभाषित किया—उनका कहना है कि यह सिर्फ वोटिंग का आंकड़ा नहीं बल्कि सिस्टम परिवर्तन की शुरुआत है।

उन्होंने कहा कि जब इतने बड़े पैमाने पर मतदाता मतदान करने निकलते हैं, तो यह दर्शाता है कि जनता पारंपरिक विकल्पों से संतुष्ट नहीं है और वे बदलाव की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार हैं। विशेष रूप से उन्होंने यह जोड़ा कि उनकी पार्टी Jan Suraaj Party (JSP) को इस संदर्भ में एक स्थिर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है—भले ही अभी तक उसके उम्मीदवारों का फोकस विस्तारित चुनावी लड़ाई में हो रहा हो।

इस बयान के राजनीतिक मायने बहुत अहम हैं क्योंकि बिहार का यह चुनाव सिर्फ एक पार्टी-लड़ाई नहीं, बल्कि वोटर माइंडसेट की लड़ाई भी बनता जा रहा है। Prashant Kishor का सुझाव इसलिए खास है क्योंकि उनके अनुसार • मतदाता पारंपरिक जाति-धर्म-सिलसिले से आगे निकल रहा है • विकास-परिवर्तन-युवा-प्रश्न अब निर्णायक बन गए हैं • यदि मतदान दर इतनी ऊँची हुई है तो इसका मतलब है कि जनता ने भागीदारी तय कर ली है

लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी नजर आ रही हैं। उच्च मतदान हमेशा यह नहीं दर्शाता कि परिणाम उसी कामना-अनुरूप होंगे। मतदान के पीछे राजनीतिक संवाद, प्रचार-रणनीति, गठबंधन-समीकरण, उम्मीदवार-चयन और स्थानीय मुद्दे भी गहराई से काम करते हैं। Prashant Kishor ने खुद स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी के सामने संगठन-निर्माण और वोट शेयर को सीटों में बदलने की चुनौतियाँ अभी बनी हुई हैं।

इसके साथ ही, इस स्थिति में अन्य बड़े दलों को भी रणनीति बदलने की जरूरत पड़ सकती है — क्योंकि जब मतदाता सक्रिय और जागरूक होगा, तो सिर्फ नाम-ब्रांड या गठबंधन की ताकत काम नहीं करेगी। दलों-नेताओं को मतदान जमीन पर जाकर संदेश देना होगा कि वे बदलाव और विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अंत में, इस पहले चरण के मतदान और Prashant Kishor के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार चुनाव 2025 सिर्फ सत्ता-लड़ाई नहीं रहा — यह मतदाता-सक्रियता का मुकाबला बनता जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले चरणों में यह सक्रियता कितनी बनाये रखती है, और वास्तव में कितना बदलाव मतदाता-पसंदीदा रूप में सामने आता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
YouTube
LinkedIn
Share