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छत्तीसगढ़ ATS ने पाकिस्तानी ISIS मॉड्यूल से जुड़े दो नाबालिगों को गिरफ्तार किया

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छत्तीसगढ़ में आतंकी खतरे का एक नया और चिंताजनक पहलू सामने आया है — राज्य की एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने सोशल मीडिया के जरिए काम कर रहे एक पाकिस्तानी ISIS मॉड्यूल से जुड़े दो नाबालिगों को गिरफ्तार किया है। यह खुलासा तब हुआ जब ATS ने साइबर निगरानी और गहन जांच के बाद यह पाया कि इन किशोरों को पाकिस्तान में बैठे ISIS हैंडलर्स ने कट्टरपंथी विचारों के प्रसार के लिए सक्रिय रूप से उपयोग किया था।

स्थानीय पुलिस और ATS अधिकारियों की मानें तो ये दोनों नाबालिग Instagram पर फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर अन्य युवाओं को कट्टरपंथी सामग्री भेजते थे, और ISIS-समर्थक विचारों को फैलाने की कोशिश में लगे हुए थे। जांच में यह भी सामने आया कि उन्हें पाकिस्तानी मॉड्यूल द्वारा नियमित समूह चैट में शामिल किया गया था, जहां उन्हें जिहादी विचारों के माध्यम से भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए प्रेरित किया जा रहा था।

राज्य के गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा है कि यह पहला मामला है, जब नाबालिगों को इस तरह के ISIS-नेटवर्क से जोड़ा गया है। उन्होंने आगे बताया कि ATS द्वारा निरंतर साइबर निगरानी और अन्य एजेंसियों के सहयोग से ये कार्रवाई संभव हो पाई है। उन पर Unlawful Activities (Prevention) Act, 1967 (UAPA) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

ATS की प्रारंभिक जांच के मुताबिक, इन हैंडलर्स का मकसद सिर्फ विचारधारा फैलाना ही नहीं था, बल्कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय ISIS मॉड्यूल स्थापित करने की साजिश भी की जा रही थी। इसमें बातें गंभीर हैं क्योंकि नाबालिगों के माध्यम से युवा वर्ग को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने की रणनीति अपनाई जा रही है — और इसके चलते आंतरिक सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।

विश्लेषणात्मक दृष्टि से देखा जाए तो यह मामला आतंकवाद के डिजिटल युग में एक नया मोड़ दर्शाता है। आतंकवादी संगठन अब भौगोलिक सीमाओं को पार कर सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर युवा मनोवृति को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका और भी अहम हो जाती है — उन्हें सिर्फ रियेल-वर्ल्ड ऑपरेशन ही नहीं, बल्कि साइबर जगत में भी सक्रिय रहना होगा।

इसके अलावा, यह घटना यह सवाल भी उठाती है कि क्या सुरक्षा एजेंसियां नाबालिगों के रेडिकलाइजेशन के खिलाफ पर्याप्त तैयारी कर रही हैं। हमें यह देखना होगा कि आगे ATS और राज्य सरकार इस खतरे से निपटने के लिए क्या रणनीतियाँ अपनाती हैं — और क्या इस तरह की गिरफ्तारी अन्य भागों में भी होती हैं या यह सिर्फ एक अलग-थलग घटना है।

कुल मिलाकर, छत्तीसगढ़ एटीएस की यह कार्रवाई न केवल गंभीर आतंकवाद-रोधी उपलब्धि है, बल्कि यह डिजिटल कट्टरपंथ की चुनौती और भारत में युवा सुरक्षा के संदर्भ में एक चेतावनी भी है।

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