
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) द्वारा पारित एक ताज़ा प्रस्ताव ने इरान और यूएन के बीच तकरार को फिर से बढ़ा दिया है। IAEA की बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने यह आग्रह किया है कि इरान अपनी नज़दीकी हथियार-स्तर के यूरैनियम भंडार (near-weapons-grade uranium) के बारे में “सटीक जानकारी” साझा करे और एजेंसी के निरीक्षकों को इरानी परमाणु स्थलों तक पहुंच प्रदान की जाए।
इरानी विदेश मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को “ईरान-विरोधी” बताते हुए अस्वीकार कर दिया है। मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बघाई ने कहा है कि इस प्रस्ताव को पश्चिमी देशों — विशेष रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी — के दबाव में लाया गया है, और इसे “अन्य कार्रवाई” के लिए एक आधार बना सकती है।
इरान ने अपने एक पत्र में IAEA को सूचित किया है कि वह काहिरा में हुए एक पिछले समझौते (IAEA और इरानी प्रतिनिधियों के बीच) को समाप्त कर सकता है, और अगर ज़रूरत पड़ी तो और कदम उठा सकता है। इसके अलावा, विदेश मंत्रालय ने इस बात पर प्रतिक्रिया दी है कि यह प्रस्ताव केवल राजनीतिक दबाव का उपकरण है और इससे उसके परमाणु अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
इस घोषणा के बाद इरान ने संकेत दिया है कि वह IAEA के साथ सहयोग बंद करने पर विचार कर सकता है। यह कदम उन आशंकाओं को और मजबूत करता है कि राजनीतिक तनाव परमाणु अनियमन के खतरे को और बढ़ा सकते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि IAEA का यह प्रस्ताव और इरान की तेज प्रतिक्रिया उस गहरी तनावपूर्ण स्थिति को दर्शाती है, जो पिछले कुछ महीनों में इज़राइल और अमेरिका के हमलों के बाद और भी बढ़ गई है।



