
कर्नाटक कांग्रेस संकट: Siddaramaiah और D.K. Shivakumar के बीच सीएम कुर्सी की भिड़ंत
कर्नाटक में कांग्रेस शासित सरकार अब खोलकर सामने आए पावर स्ट्रगल से घिर चुकी है। इस लड़ाई की वजह है — मुख्यमंत्री पोष्ट को लेकर चल रही घोषणा-पूर्व समझौते की टूटती गहराई। 2023 में जब कांग्रेस को बहुमत मिला था, तब कहा गया था कि मुख्यमंत्री पद को लगभग 2.5 साल तक Indian National Congress (कांग्रेस) के लिए दो हिस्सों में बांटा जाएगा — पहले 2.5 साल वर्तमान सीएम बने रहेंगे, फिर अगला 2.5 साल उप मुख्यमंत्री बने हुए नेता संभालेंगे।
लेकिन जैसे-जैसे 2.5 साल का समय पूरा हुआ, ऐसा हुआ कुछ नहीं। वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपना पद बनाए रखने की बात कही, जबकि उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और उनके समर्थक विधायक अब कांग्रेस हाई-कमान पर दबाव बना रहे हैं कि वादा निभाया जाए। शिवकुमार गुट दिल्ली में है, और लगातार बैठकें चला रहे हैं ताकि उनके पक्ष में फैसला हो।
शिवकुमार ने खुद कहा है कि वे किसी भी जल्दबाजी में नहीं हैं — “हाईकमान जो कहेंगे, वही करेंगे”। दूसरी ओर, सिद्धारमैया भी सक्रिय हो गए हैं, उन्होंने अपने करीबी नेताओं के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं और यह स्पष्ट किया है कि यदि पार्टी हाई-कमान कहेगा, तो वे सीएम बने रहेंगे।
बीच में, इस विवाद की वजह से कांग्रेस की छवि मजबूत गढ़ के रूप में रहे कर्नाटक में अस्थिरता की हवा चलने लगी है। विपक्षी दलों, और खासकर Bharatiya Janata Party (बीजेपी) ने इस दरार को मौका मानते हुए ‘वेट-एंड-वॉच’ की नीति अपना रखी है — वे अभी कुछ बोल नहीं रहे, लेकिन निगाहें कांग्रेस पर बनाए हुए हैं, कि कौनसे फैसले से उन्हें लाभ मिल सकता है।
अगर कांग्रेस हाई-कमान ने समय रहते फैसला नहीं किया, तो कर्नाटक में सत्ता-संघर्ष बढ़ने, सरकार की कार्य-प्रणाली प्रभावित होने और राजनीतिक अस्थिरता के बढ़ने के आसार हैं। कई लोग इसे पार्टी की ताकतवर स्थिति के लिए ख़तरा मान रहे हैं।



