
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के यमुना एक्सप्रेसवे पर मंगलवार तड़के हुए एक भयानक कोहरे (dense fog)-प्रेरित दुर्घटना में कम से कम 13 लोगों की जान चली गई और लगभग 100 से ज्यादा यात्री घायल हो गए। यह भीषण हादसा माइलस्टोन 127 के पास सुबह लगभग 4:30 बजे उस समय हुआ जब घना कोहरा वाहन चालकों की दृश्यता लगभग शून्य कर रहा था, जिससे सड़क पर कई वाहन आपस में एक के बाद एक टकरा गए। इस स्ट्रीक टक्कर में 12 बड़े वाहन — जिसमें 7-8 डबल-डेकर बसें और 3 कारें शामिल थीं — आपस में भिड़ गए और कई बसों में आग भी लग गई। कुछ बसें और कारें इतनी अधिक क्षतिग्रस्त हुईं कि उनके हिस्से जले अवशेषों के रूप में बरामद किए गए।
प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस के अनुसार, दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह अचानक से घना कोहरा था, जिसने दृश्यता को न्यूनतम तक ला दिया था। इसी कम दृश्यता में पहेली की तरह चल रहे वाहन पीछे-पीछे चलते रहे और एक छोटी टक्कर के बाद डब्ल्यू-कार और बसों की लाइन एक दूसरे से टकरा गई, जिससे एक जटिल श्रृंखलाबद्ध बहु-वाहन दुर्घटना (multi-vehicle pile-up) बन गई। आग की लपटें इतनी तेज़ थीं कि कई यात्रियों को बसों के भीतर फंसे पाया गया और कुछ ने खिड़कियों तोड़कर भागने की कोशिश की।
हादसे की भयावहता इतनी थी कि 8 बसें पूरी तरह जलकर राख हो गईं, जबकि बाकी बसें और कारें गंभीर रूप से जली या क्षतिग्रस्त हो गईं। घायलों को मथुरा, वृंदावन और आगरा के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहाँ उन्हें प्राथमिक उपचार और देखभाल दी जा रही है। पुलिस प्रशासन के अनुसार, घायलों में से कई की हालत स्थिर है, लेकिन कुछ का इलाज जारी है और वे गंभीर रूप से झुलसे हुए हैं। शवों की पहचान कठिनाई से की जा रही है, इसलिए कई मृतकों की पहचान डीएनए परीक्षण के ज़रिये की जा रही है।
इस हादसे में यात्री बसें नोएडा और दिल्ली की ओर जा रही थी, जबकि कुछ कारें भी इसी मार्ग पर यात्रा कर रही थीं। स्थानीय प्रशासन, पुलिस, दमकल सेवाएँ और राहत टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुँचीं और लगभग 2 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर नियंत्रण पाया गया, लेकिन तब तक कई यात्रियों की जानें जा चुकी थीं और कई गंभीर रूप से घायल हो चुके थे।
घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुःख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों को प्रति व्यक्ति ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। घटना की जांच के लिए प्रशासन और पुलिस अधिकारी सक्रिय हैं और जल्द से जल्द पूरी रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है ताकि भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के उपाय किये जा सकें।
स्थानीय लोगों और यात्रियों के अनुसार, यह हादसा सड़क सुरक्षा और सर्दियों में बढ़ते घने कोहरे की समस्या को एक बार फिर उजागर करता है। इस घटना ने न केवल मथुरा और आगरा के आसपास के इलाकों में यातायात की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यात्रियों को सावधानी बरतने की भी चेतावनी दी है, खासकर उन मार्गों पर जहाँ मौसम बदलता रहता है और दृश्यता प्रभावित होती है।
इस भीषण दुर्घटना ने परिवारों के जीवन में एक गहरा दर्द छोड़ दिया है और राहत-बचाव कार्य, घायलों के इलाज और मृतकों की पहचान की प्रक्रिया जारी है, ताकि प्रभावित लोगों को जल्दी से जल्दी न्याय और सहायता मिल सके।



