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EV चार्जिंग स्टेशन खोलकर हर महीने लाखों की कमाई कैसे कर सकते हैं?

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1. क्यों बढ़ रहे EV चार्जिंग स्टेशन?

जैसा कि इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या भारत में लगातार बढ़ रही है, लोग अब गली-मोहल्लों, पेट्रोल पम्प, रेस्टोरेंट, होटलों और ऑफिस कॉम्प्लेक्स जैसी जगहों पर चार्जिंग सुविधाएं तलाश रहे हैं। इसी वजह से छोटे और बड़े दोनों तरह के EV चार्जिंग स्टेशन तेजी से बढ़ रहे हैं।

2. कितने प्रकार के चार्जर होते हैं?

  • DC फास्ट चार्जर: तेज चार्जिंग के लिए – इलेक्ट्रिक कारें, SUVs आदि में उपयोग होता है; 1–1.5 घंटे में चार्ज।

  • AC स्लो चार्जर: ई-रिक्शा और दोपहियाओं के लिए; 5–6 घंटे लगते हैं।

3. चार्जिंग रेट्स (प्रति यूनिट): कितनी वसूली?

चार्जर प्रकारग्राहक द्वारा दर
DC (फास्ट)₹15 – ₹25 प्रति यूनिट
AC (स्लो, टूव्हीलर्स)₹8 – ₹12 प्रति यूनिट या कम

4. कितना मुनाफा होता है?

  • बिजली के बिल पर ₹7 प्रति यूनिट चुकाना होता है।

  • किराया या मेंटेनेंस को छोड़ने के बाद, अगर ग्राहक ₹20 प्रति यूनिट देते हैं, तो मुनाफा ≈ ₹11 प्रति यूनिट हो सकता है।

  • लोकेशन और मुकाबले के स्तर से रेट्स में अंतर हो सकता है (₹12–₹15 से लेकर ₹20–₹22 तक)।

5. स्टेशन खोलने का निवेश कितना?

  • DC फास्ट (single gun): ≈ ₹10 लाख

  • DC फास्ट (double gun): ≈ ₹18 लाख

  • इसमें सेटअप, सिस्टम, बिजली कनेक्शन आदि शामिल हैं। एसी चार्जर की लागत इससे थोड़ी कम होती है।

  • फ्रेंचाइजी आधारित मॉडल भी उपलब्ध हैं, जहां कंपनी सेटअप, मीटर, ऑपरेशन आदि संभालती है; निवेशकर्ता को सेटिंग और लोकेशन की व्यवस्था करनी होती है।


व्यवसाय मॉडल और लाभप्रदता का विश्लेषण

सेटअप लागत और राजस्व मॉडल

  • आम निवेश:

    • ₹10 लाख – ₹50 लाख (चार्जर और इंफ्रास्ट्रक्चर पर आधारित)

  • राजस्व स्रोत:

    • प्रति यूनिट चार्ज फीस

    • सब्सक्रिप्शन/मेबरशिप योजनाएं

    • जाहिरात (Advertising)

    • पार्टनरशिप (होटल, फ्लैट, स्टेशन आदि)।

लाभ और ROI का अनुमान

  • उदाहरण के लिए, ₹15/kWh चार्ज रेट पर 30 kWh प्रति वाहन चार्ज:

    • 20 वाहन/दिन × ₹15 × 30kWh = ₹9,000/दिन = ₹2.7 लाख/महीना।

    • अनुमानित लाभ मार्जिन: 30–50% या इससे अधिकl

    • बेहतर स्थान और उपयोग के साथ 3–5 वर्षों में पूंजी वसूली संभव है।

चुनौतियाँ

  • उच्च शुरुआती निवेश

  • उचित लोकेशन और जमीन की उपलब्धता

  • बिजली की लागत और टैरिफ्स

  • उपयोग और कॉम्पिटीशन के आधार पर मार्जिन में अंतर

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