
हरियाली तीज का पर्व खासकर विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है। यह त्योहार सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को तोड़ने की भी विशेष विधि और नियम होते हैं, जिनका पालन करना धार्मिक रूप से आवश्यक माना जाता है।
हरियाली तीज व्रत सूर्योदय से पहले शुरू किया जाता है और पूरे दिन बिना पानी व अन्न के उपवास रखा जाता है। शाम को भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की विधिवत पूजा होती है। पूजा के बाद कथा सुनने का विशेष महत्व है। व्रत का पारण रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद या दूसरे दिन सुबह सूर्योदय के समय किया जा सकता है।
व्रत खोलते समय पहले जल पीना जरूरी होता है, फिर फल या हल्का भोजन ग्रहण किया जाता है। कई स्थानों पर महिलाएं पहले अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत तोड़ती हैं, जिसे “श्रद्धा पारण” कहा जाता है। इस व्रत में संयम और श्रद्धा का विशेष महत्व होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज का व्रत न केवल वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाता है, बल्कि सौभाग्य और सुख-शांति भी प्रदान करता है।