
कोलकाता गैंगरेप मामले में पीड़िता की एक्सक्लूसिव मेडिकल रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें साफ तौर पर उसके साथ हुई बर्बरता की पुष्टि हुई है। रिपोर्ट में बताया गया कि लड़की के शरीर पर गंभीर चोटों के निशान हैं और बलात्कार के स्पष्ट सबूत मिले हैं। डॉक्टरी जांच में यह भी सामने आया कि उसके निजी अंगों पर गहरी चोटें थीं, जिससे दरिंदगी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह खुलासा होते ही पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्ष ने राज्य सरकार और कोलकाता पुलिस पर मामले को दबाने और लीपापोती करने का आरोप लगाया है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम रही है। कांग्रेस और वामदलों ने भी घटना की न्यायिक जांच की मांग की है।
वहीं, पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने शुरुआत में मामला कमजोर करने की कोशिश की थी। परिवार वालों का भी कहना है कि पुलिस ने पहले गंभीर धाराओं में मामला दर्ज नहीं किया। बाद में जब यह मामला सुर्खियों में आया, तब आरोपियों पर सख्त धाराएं जोड़ी गईं।
टीएमसी सरकार की तरफ से हालांकि कहा गया है कि अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी घटना की निंदा की है और अधिकारियों को तेजी से जांच के आदेश दिए हैं।
इस घटना ने राज्य में महिला सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। कई सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर प्रदर्शन कर न्याय की मांग की है और राज्य सरकार पर महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने में नाकामी का आरोप लगाया है।