
रक्षाबंधन के दिन नागपुर–जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने राहगीरों और स्थानीय लोगों के दिल दहला दिए। 35 वर्षीय अमित यादव अपनी पत्नी ग्यारसी का शव बाइक पर बांधकर हाइवे पर तेज़ी से चला जा रहा था। उसके चेहरे पर आंसू, दिल में सदमा और होंठों पर मदद की पुकार थी, लेकिन रास्ते में किसी ने भी उसे रोककर सहारा नहीं दिया।
यह घटना नागपुर के लोणारा से देवलापार होते हुए करणपुर के बीच घटित हुई। अमित और ग्यारसी सुबह घर से एक रिश्तेदार के यहां जा रहे थे। रास्ते में पीछे से आ रहे एक तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि पीछे बैठी ग्यारसी सड़क पर गिर गई और ट्रक के पिछले पहिए के नीचे आ गई। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। हादसे के बाद ट्रक चालक वहां रुके बिना भाग निकला।
हादसे के बाद अमित कुछ देर अपनी पत्नी के शव के पास बैठा रहा। आसपास से गुजरने वाले वाहनों से उसने हाथ जोड़कर मदद मांगी—किसी से अस्पताल तक पहुंचाने के लिए, किसी से पुलिस को खबर करने के लिए—लेकिन किसी ने नहीं रोका। अंततः मजबूर होकर उसने अपनी पत्नी का शव कपड़े और रस्सी से बाइक पर बांधा और खुद ही गांव की ओर निकल पड़ा।
इस दौरान कई वाहन उसके पास से गुज़रे, लेकिन किसी ने सहायता नहीं की। मोरफाटा इलाके में हाईवे पेट्रोलिंग पुलिस की नजर उस पर पड़ी। जब पुलिस ने बाइक रोकी, तो उन्होंने यह दर्दनाक दृश्य देखा और तुरंत अमित से पूछताछ की। अमित की आपबीती सुनकर पुलिस भी भावुक हो गई।
इसके बाद पुलिस ने ग्यारसी के शव को नागपुर के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज भेजा, जहां पोस्टमॉर्टम किया गया। पुलिस ने ट्रक चालक की तलाश शुरू कर दी है और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं।
यह घटना न केवल सड़क हादसे की भयावहता को उजागर करती है, बल्कि समाज में घटती मानवीय संवेदनाओं पर भी सवाल खड़े करती है। त्योहार के दिन भी जब हर कोई खुशियों में मशगूल था, एक व्यक्ति मदद के लिए सड़क पर रो रहा था, और लोग चुपचाप गुजरते रहे।