
उत्तर प्रदेश एटीएस की गिरफ्त में आए बलरामपुर के छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन के अवैध धर्मांतरण रैकेट की परतें तेजी से खुल रही हैं। पुलिस पूछताछ में बाबा ने कई राज खोले हैं और उसके आश्रम में काम करने वाले एक व्यक्ति ने भी बड़े खुलासे किए हैं।
पुलिस जांच में सामने आया है कि छांगुर बाबा ने अपने नेटवर्क में कोडवर्ड का इस्तेमाल किया।
- प्रोजेक्ट: किसी नए व्यक्ति को धर्म परिवर्तन के लिए तैयार करने की योजना।
- मिट्टी पलटना: धर्म बदलवाने की प्रक्रिया शुरू करना।
- काजल लगाना: धर्मांतरण की प्रक्रिया पूरी करना।
ये कोडवर्ड बाबा और उसके साथी बातचीत में इस्तेमाल करते थे ताकि पुलिस या बाहरी लोग असली मंशा न समझ सकें।
पुलिस के मुताबिक बाबा का नेटवर्क यूपी के कई जिलों और नेपाल सीमा तक फैला था। वह गरीब और कमजोर लोगों को पैसे और बेहतर जिंदगी का लालच देकर धर्मांतरण के लिए तैयार करता था। पूछताछ में यह भी सामने आया कि बाबा ने 40 से ज्यादा विदेश यात्राएं कीं और वहां से फंडिंग और निर्देश लेकर आता था। उसके खातों में लगभग 100 करोड़ रुपये का लेन-देन पाया गया है।
बाबा के गिरोह में नीतू उर्फ नसरीन, महबूब, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर, सगीर और पत्रकार एमें रिजवी जैसे कई लोग शामिल थे। मुंबई का नवीन अहमद भी उसका बड़ा साथी बताया जाता है, जो फिलहाल फरार है।
संजीत कुमार का बड़ा खुलासा
छांगुर बाबा के आश्रम में काम करने वाले संजीत कुमार ने भी पुलिस को एक अहम गवाही दी है। संजीत कुमार ने बताया:
“मैं वहां झाड़ू-पोछा का काम करता था। करीब 6-7 महीने काम करने के बाद बाबा ने कहा अपना धर्म परिवर्तन कर लो। कहा – हम तुम्हें इतना पैसा देंगे कि तुम्हारे बच्चे की शादी हो जाएगी, तुम्हारे पास अपनी गाड़ी होगी, घर बन जाएगा और जिंदगी संवर जाएगी।
जब मैंने मना कर दिया और कहा कि बाबा हमसे ये नहीं होगा, तो वो धमकाने लगे। बोले – हमने तुम पर इतना पैसा खर्च किया है, अगर नहीं करोगे तो गोली मरवा देंगे। इसके बाद मैं रात में ही वहां से भाग निकला।”
संजीत की गवाही ने पुलिस की जांच को और पुख्ता कर दिया है कि बाबा पैसों और डर दोनों का इस्तेमाल करके लोगों को धर्म बदलने के लिए मजबूर करता था।
पुलिस जांच और आगे की कार्रवाई
एटीएस ने बाबा के पास से कई धार्मिक पुस्तिकाएं, वीडियो, ब्रोशर, मोबाइल और बैंक दस्तावेज बरामद किए हैं। इन सबूतों से साफ है कि धर्मांतरण के लिए बाकायदा अभियान चलाया जा रहा था।
एटीएस ने मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी फंडिंग की जांच ईडी को सौंपने की सिफारिश की है। पुलिस का मानना है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक बड़ा संगठित नेटवर्क है जिसकी जांच अभी और आगे बढ़ेगी।