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आत्मनिर्भर रक्षा भारत की नीति है

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने NDTV डिफेंस समिट 2025 में कहा कि आज के बदलते वैश्विक संदर्भ में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बन गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह आत्मनिर्भरता “प्रोटेक्शनिज़म” नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण आयाम है।

उन्होंने कहा कि दुनिया आज तेजी से बदल रही है—चाहे महामारी हों, आतंकवाद हो या क्षेत्रीय अशांति—औपचारिक सुरक्षा की चुनौतियाँ हर दिन बढ़ती जा रही हैं। ऐसे समय में आत्मनिर्भरता सिर्फ लाभ नहीं, बल्कि देश की रक्षा का आधार बन गई है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि एक मजबूत और आत्मनिर्भर सेना एक संप्रभु राष्ट्र की रीढ़ होती है। यह न केवल हमारी सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि हमारी सभ्यता और संस्कृति का संरक्षण भी करती है। नए और उभरते खतरों से निपटने के लिए अत्याधुनिक स्वदेशी हथियार और मंच विकसित करना इसलिए आवश्यक है।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सकारात्मक इंडिजिनाइजेशन लिस्ट (Positive Indigenization List) के तहत कुल 5,500 वस्तुओं में से अब 3,000 से अधिक वस्तुएँ पहले से ही भारत में निर्मित की जा रही हैं—जो कि आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी कहा कि अब युद्धपोत भारत में ही बनाए जा रहे हैं, जिससे रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का सफल निर्माण हो रहा है। उन्होंने पूरे रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र (इनोवेशन, तकनीकी, निर्माण और आर्थिक सुरक्षा) को एक मजबूत इकाइयां मानते हुए कहा कि यह दृष्टिकोण भारत को वैश्विक मंच पर निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित कर रहा है।

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