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हरियाणा के एडीजीपी वाई पुरण कुमार का पोस्टमार्टम पूरा

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हरियाणा पुलिस और राज्य प्रशासन इन दिनों एक संवेदनशील मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं — आईपीएस अधिकारी वाई पुरण कुमार (ADGP) की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत। उन्होंने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ स्थित अपने सरकारी आवास में खुद को गोली मार ली थी। इस घटना ने पूरे पुलिस विभाग और राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है।

मृत्यु के बाद से उनके पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम कराने और उनका अंतिम संस्कार करने की प्रक्रिया पर राजनीतिक और कानूनी विवाद बना रहा। परिवार की अनिच्छा और प्रक्रिया पर उठते सवालों के बीच, अंततः चंडीगढ़ के पीजीआई (PGI) अस्पताल में एक गठित मेडिकल बोर्ड की देखरेख में करीब चार घंटे तक पोस्टमार्टम किया गया। इसके बाद शव को सेक्टर-24 स्थित उनके सरकारी आवास पर लाया गया और शाम को सेक्टर-25 श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट विशेष जांच दल (SIT / SIटी) के जांच अधिकारी के पास जाए। अदालत निर्देशों, वीडियोग्राफी और मजिस्ट्रेट निगरानी सहित सभी कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी की गईं।

हालांकि इस दौरान विवाद यह रहा कि परिवार ने पोस्टमार्टम के लिए सहमति नहीं दी थी। पुलिस के कुछ अधिकारी इस बात पर विचार कर रहे थे कि सीआरपीसी की धारा 174/175 के तहत — जब मामला मेडीको-लीगल (MLC) हो — तो शव का पोस्टमार्टम बिना पारिवारिक अनुमति भी किया जा सकता है ताकि साक्ष्यों की रक्षा हो।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा है कि दोषी व्यक्तियों को बख्शा नहीं जाएगा। मामले की गहन और निष्पक्ष जांच का वादा किया गया है। राज्य के मंत्री कृष्ण कुमार बेदी और कृष्ण लाल पंवार ने परिवार से मुलाकात की और उन्हें इस पूरे काम में प्रशासन का सहयोग देने का भरोसा दिलाया।

पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ यह है कि इस बीच एक अन्य हरियाणा पुलिस अधिकारी ने भी आत्महत्या की, और अपने आखिरी वीडियो सन्देश में वाई पुरण कुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इस घटना ने इस पूरे मामले को और जटिल बना दिया है और यह सवाल खड़े कर दिया है कि क्या यह कोई व्यक्तिगत दुख घटना है या विभागीय राजनीति का हिस्सा।

इस तरह, ADGP वाई पुरण कुमार की मौत सिर्फ एक दुखद घटना नहीं बनी है — बल्कि वह एक व्यापक जांच, आरोप-प्रत्यारोप, और न्याय की उम्मीदों का मामला बन गई है। इस मामले की गहराई में झाँकने पर यह सवाल सामने आते हैं: क्या उनकी मौत वास्तव में आत्महत्या थी? यदि हां, तो क्या उसे उकसाया गया? यदि नहीं, तो कौन जिम्मेदार होगा?

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