
उत्तर प्रदेश का मथुरा जिला लगातार बढ़ रहे यमुना जलस्तर की वजह से भारी बाढ़ की चपेट में आ गया है। यमुना का पानी खतरे के निशान को पार कर गया है और कई कॉलोनियाँ जलमग्न हो चुकी हैं, साथ ही कुल 36 गाँव टापू में तब्दील हो गए हैं, जहाँ निवासियों को मिट्टी से भरी बोरी से सीमाएं बनाने, सतर्कता बढ़ाने जैसी जद्दोजहद करनी पड़ी है। इस चपेट में आए एक किसान को बर्बादी देख हार्ट अटैक आने से जान भी गवानी पड़ी, जो इस आपदा की बर्बरता और लोगों की पीड़ा को बयां करता है।
बिजली वितरण में भी भारी अड़चनें आईं—बारिश और बढ़ते जल स्तर के चलते बिजली कई क्षेत्रों में दस घंटे तक बाधित रही। इससे लोगों को पेयजल, चार्जिंग और अन्य जरूरी सेवाओं में काफी दिक्कत हुई। प्रशासन ने स्थिति का सामना करने के लिए सक्रियता दिखाई और जल निकासी के उपाय किए गए, लेकिन प्राकृतिक आपदा की मार का जवाब देना आसान नहीं था।
मथुरा प्रशासन ने उच्च सतर्कता के आदेश जारी किए और रविवार-पिछले सोमवार तक हाई अलर्ट रखा। राहत अभियानों के तहत प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए आपदा प्रबंधन के अधिकारी मुस्तैद हैं। स्कूलों को बंद रखने का निर्णय लिया गया और छात्रों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है—कई छात्र अब ऑनलाइन क्लासेज पर निर्भर हैं, जो कि कई के लिए कठिन साबित हो रही हैं।
वहीं, प्रयाग घाट, परिक्रमा मार्ग और घाटों का धार्मिक जीवन भी प्रभावित हुआ—आदिकालीन धार्मिक स्थलों पर पानी घुसने से श्रद्धालुओं और स्थानीय जीवन दोनों प्रभावित हुए हैं, लेकिन भक्ति में विराम नहीं आया: काफी श्रद्धालु श्रद्धा पूर्वक दर्शन करते रहे, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी चुनौतीपूर्ण क्यों न हों।