
पृष्ठभूमि और कारण
फ्रांस में मध्य-2025 में सोशल मीडिया और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर एक गतिविधिशील, नेतृत्व-रहित आंदोलन उभरा, जिसे “Bloquons tout” (अंग्रेज़ी: “Block Everything”) कहा जाता है।
यह आंदोलन पूर्व PM फ्राँवोइस बेरू के प्रस्तावित 2026 बजट-कट ( करीब €43.8 बिलियन खर्च में कटौती, पेंशन फ्रीज़िंग, दो राष्ट्रीय छुट्टियाँ हटाना) के विरोध में शुरू हुआ था ।
सड़कों पर इसका स्वरूप प्रमुख रूप से सड़कों को ब्लॉक करना, प्रदर्शन और हड़तालों के रूप में सामने आया, और इसे फ्रांस में 2018–19 की “Yellow Vest” (पीले जैकेट) आंदोलन से तुलना की गई है ।
घटनाएं – 10 सितंबर 2025 का सूत्रधार दिन
नागरिक गुस्से का चरम: इस दिन पूरे फ्रांस में जनता ने जबरदस्त आक्रोश के साथ प्रदर्शन किया। सड़कों पर बेरोक-टोक ब्लॉकेज, कचरों में आग, अग्निप्रदर्शन और पुलिस से टकराव ने माहौल को और गरम कर दिया ।
दस्तक दे रहा नया PM: अगले ही दिन, सेबास्टियन लेकोरनू को नए प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने पद संभालते ही राजनीतिक उथल-पुथल और गुस्से के बीच मुश्किल शुरुआत की। यह मैक्रॉन की सरकार का इस कार्यकाल में तीसरा (या कुछ स्रोतों के अनुसार चौथा) प्रधानमंत्री था ।
दबाव, गिरफ्तारी और सुरक्षा: सरकार ने देशभर में 80,000 से अधिक सुरक्षा बल तैनात किए। लगभग 250–300 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया, और प्रदर्शनकारियों ने रेलवे पावर लाइन और ट्रैफिक सिस्टम को नुकसान पहुँचाया ।
पेरिस में गारे दु नॉर स्टेशन के पास प्रदर्शन हुए, रेन्स शहर में एक बस को आग लगाई गई, और ट्रेन सेवाएँ प्रभावित हुईं ।
राजनीतिक अस्थिरता और सरकार की चुनौतियाँ
बीरो की हार, निराशा बढ़ना: इससे पहले 8–9 सितंबर को बेरू का बजट प्रस्ताव अस्वीकृत हुआ और वे इस्तीफा दे चुके थे। यह मैक्रॉन की सरकार का लगातार पतन दर्शाता है ।
वित्तीय संकट: पब्लिक डेब्ट 113% से अधिक है, निवेशकों में चिंता बढ़ी है और फ्रांस अब यूरोज़ोन की “पेरीफ़ेरी” (जो आर्थिक रूप से जोखिमपूर्ण गिनती में हैं) सूची में शामिल हो गया है ।
वाह्य प्रभावों की आशंका: कुछ स्रोतों ने सोशल मीडिया पर आंदोलन को बढ़ावा देने में संभावित विदेशी (प्रो-रुस, प्रो-ईरान) तत्वों की भूमिका की आशंका जताई है, हालांकि उनका प्रभाव सीमित बताया गया ।
आंदोलन का विस्तार और समर्थन: यह आंदोलन अब केवल कटौती–विरोधी नहीं, बल्कि व्यापक राजनीतिक असंतुष्टता का प्रतीक बन गया है। कुछ ट्रेड यूनियनों ने 18 सितंबर को हड़ताल की घोषणा की है, जिससे आंदोलन और तेज़ हो सकता है