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मालेगांव 2008 ब्लास्ट केस

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मालेगांव 2008 विस्फोट मामले में एक विशेष एनआईए कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की जांच और सबूतों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस केस में कई महत्वपूर्ण पहलुओं की सही तरीके से जांच नहीं की गई, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर असर पड़ा है।

कोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेख किया कि मामले में जो गवाह पेश किए गए, उनमें से कई की गवाही आपस में मेल नहीं खाती और कुछ गवाहों के बयान में स्पष्ट विरोधाभास पाया गया। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी नोट किया कि कुछ सबूतों को ठीक से सुरक्षित नहीं रखा गया और केस डायरी में भी कई विसंगतियाँ हैं।

विशेष कोर्ट के जज ने कहा कि इस तरह की खामियां न्याय को बाधित कर सकती हैं और अभियोजन पक्ष को मामले को और ठोस तरीके से पेश करना चाहिए था। मालेगांव ब्लास्ट केस में कर्नल श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर समेत कई आरोपी हैं, और यह मामला पिछले कई वर्षों से न्यायिक प्रक्रिया में है।

एनआईए कोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब इस केस को लेकर राजनीतिक और सामाजिक बहस भी होती रही है। कोर्ट की यह टिप्पणी मामले की विश्वसनीयता पर बड़ा असर डाल सकती है और आगे की कार्यवाही में इसे गंभीरता से लिया जाएगा।

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