
दिल्ली में हाल ही में कुछ नई बसों को केसरिया (भगवा) रंग में रंगे जाने के बाद राजनीति गरमा गई है। विपक्षी दलों ने इसे सांप्रदायिक रंग देने का आरोप लगाते हुए सरकार पर हमला बोला है। वहीं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे एक “दिशाहीन राजनीतिक विवाद” करार दिया।
इस मुद्दे पर Aaj Tak से बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि “बसों का रंग बदलने का फैसला प्रशासनिक और सौंदर्य की दृष्टि से लिया गया है। इससे यात्रियों को नई और बेहतर बसें पहचानने में आसानी होगी।” उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि “कुछ राजनीतिक दल बेवजह रंग के मुद्दे पर सांप्रदायिक रंग चढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह योजना पूर्व नियोजित थी और इसका उद्देश्य केवल परिवहन व्यवस्था को आधुनिक और प्रभावशाली बनाना है।
उधर, विपक्षी पार्टियों ने इसे “भगवाकरण” की साजिश बताया है और कहा है कि आम जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए रंगों की राजनीति की जा रही है।
फिलहाल यह मामला राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है और सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से साफ कर दिया गया है कि बसों का रंग बदलने का फैसला पूरी तरह प्रशासनिक है, न कि वैचारिक या सांप्रदायिक।