
गणेश चतुर्थी 2025: गुरु-मध्याह्न स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि का विस्तृत मार्गदर्शन
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी पर्व इस वर्ष 27 अगस्त 2025 को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह उत्सव दस दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ संपन्न होता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश समेत पूरे देश में यह पर्व विशेष आस्था और श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन भक्त विघ्नहर्ता गणेश की प्रतिमा स्थापित कर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और अगले दस दिनों तक प्रतिदिन आराधना कर 6 सितंबर को बप्पा को विदाई देते हैं।
शुभ मुहूर्त
धार्मिक ग्रंथों और पंचांग के अनुसार गणेश स्थापना का सबसे श्रेष्ठ समय मध्याह्नकाल माना गया है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। यह समय लगभग 2 घंटे 34 मिनट का है। इसी अवधि में प्रतिमा स्थापना और पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।
इसके अतिरिक्त दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 5 मिनट तक भी शुभ समय रहेगा। हालांकि विद्वान ज्योतिषियों के अनुसार मुख्यतः मध्याह्नकाल का समय ही सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि भगवान गणेश का जन्म इसी समय हुआ माना जाता है।
पूजा विधि
गणेश चतुर्थी पर पूजा से पहले भक्त घर या पंडाल की अच्छी तरह सफाई करते हैं। पूजा स्थल पर लाल या पीले वस्त्र बिछाकर चौकी तैयार की जाती है। इसके बाद गणपति की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर साफ वस्त्र पहनाए जाते हैं और गहनों से सजाया जाता है।
पूजा में सबसे पहले गणेशजी का ध्यान किया जाता है, फिर कलश स्थापना, आवाहन और प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इसके बाद दूर्वा घास, सिंदूर, लाल फूल, सुपारी और पान अर्पित किए जाते हैं। गणपति को मोदक और लड्डू का भोग सबसे प्रिय माना जाता है, इसलिए विशेष रूप से मोदक का भोग लगाया जाता है।
आरती के दौरान ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जप और गणपति आरती का गान किया जाता है। भक्त अपने परिवार और समाज की मंगलकामना करते हैं।
धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा के बिना अधूरी रहती है। गणेशजी को विघ्नहर्ता और बुद्धिदाता कहा जाता है। इसलिए विवाह, गृह प्रवेश, नई नौकरी, व्यवसाय या अन्य किसी भी मांगलिक अवसर पर सर्वप्रथम गणपति की पूजा की जाती है।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर दस दिनों तक पूरे समाज में उत्सव का वातावरण रहता है। महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे शहरों में भव्य पंडाल और झांकियां सजाई जाती हैं, जहां लाखों भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं।
विसर्जन
अनंत चतुर्दशी यानी 6 सितंबर 2025 को भक्त गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करेंगे। इसे ‘गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ’ जैसे नारों के साथ विदाई दी जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि गणपति विसर्जन से भक्तों के जीवन से विघ्न और कष्ट दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।