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बाबा बागेश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने हिजाब विवाद पर दिया बड़ा बयान

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मुंबई — बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें भक्त आम तौर पर बाबा बागेश्वर के नाम से जानते हैं, ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हिजाब विवाद के संदर्भ में की गई घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है, जिससे पूरे देश में सामाजिक और राजनीतिक हलकों में यह मुद्दा गरमाया हुआ है। उन्होंने मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जो भी इस विवाद के दौरान हुआ वह “अच्छा नहीं हुआ” और समाज के लिए लाभकारी नहीं है। बाबा का यह बयान इस वक्त विशेष रूप से सुर्खियों में आया क्योंकि हिजाब विवाद पिछले कुछ दिनों से धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बना हुआ है।

बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे राजनीति में नहीं उतरते और उनका उद्देश्य राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाना नहीं है। उन्होंने यह भी जताया कि समाज को जातिवाद और राजनीतिक विभाजन से ऊपर उठकर राष्ट्र और संस्कृति के मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। बाबा ने कहा कि जनता ही तय करेगी कि किसे मेयर या राजनीतिक पद मिले, लेकिन उनके लिए प्राथमिकता हमेशा समाज की एकता और मजबूत सनातन संस्कृति होना चाहिए।

उनकी यह प्रतिक्रिया उस समय आई है जब बिहार में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एक महिला डॉक्टर के बीच हिजाब को लेकर हुई घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वारदात ने धार्मिक पहचान, व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सार्वजनिक व्यवहार के मुद्दों को लेकर ज़बरदस्त बहस को जन्म दिया, और कई सुप्रसिद्ध हस्तियों ने भी इस पर अपनी टिप्पणियाँ दी हैं। अभिनेत्री ज़ायरा वसीम, लेखक जावेद अख्तर और अन्य हस्तियों ने नीतीश कुमार को सार्वजनिक रूप से बिना शर्त माफी मांगने की बात कही है।

हालाँकि बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने राजनीति से दूरी बनाये रखने की बात कही, उन्होंने यह भी संकेत दिया कि समाज में धर्म और संस्कृति के मूल्यों के पक्ष में आवाज़ बुलंद करनी चाहिए। उनका कहना रहा कि “देश का चुनाव जातिवाद से ऊपर उठकर राष्ट्रवाद पर होना चाहिए,” जिससे यह स्पष्ट है कि वे विवाद को **आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखते हैं, न कि राजनीतिक टकराव के रूप में।”

हिजाब विवाद को लेकर देश भर में अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ देखने को मिली हैं — जहाँ कुछ लोग नीतीश कुमार के कार्यों का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई लोगों ने इसे महिला की व्यक्तिगत आज़ादी और धार्मिक पहचान के खिलाफ माना है। बाबाजी के बयान ने भी इस बहस को और आगे बढ़ाया है, विशेष रूप से उनके यह कहने के बाद कि वे राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा नहीं बनना चाहते और ऐसे मुद्दों पर विचार करते समय समाज को संयम और एकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक और सामाजिक नेता भी ऐसे संवेदनशील मसलों पर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं, जिससे यह मुद्दा अब सिर्फ राजनीतिक बहस तक सीमित नहीं रहा बल्कि इसे सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक मूल्यों के संदर्भ में भी देखा जा रहा है।

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