
DK Shivakumar और Siddaramaiah के बीच नेतृत्व को लेकर बढ़ती खींचतान
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी विवाद ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस पार्टी में यह खींचतान तब सामने आई जब डीके शिवकुमार ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा — “शब्द की ताकत ही दुनिया की ताकत है, वादा निभाना सबसे बड़ी शक्ति है।” साथ ही उन्होंने कुर्सी को लेकर तंज भरा बयान भी दिया — यह बयान समझा जा रहा है कि उन्होंने पार्टी के अंदर उस कथित “रोटेशनल मुख्यमंत्री समझौते” (power-sharing pact) की ओर इशारा किया है, जिसके अनुसार 2023 में सरकार बनते समय 2.5 साल बाद मुख्यमंत्री बदलने की बात कही गई थी।
लेकिन Indian National Congress के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया और उनकी टीम इस दावे को खारिज करते रहे हैं। उन्होंने साफ कहा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था और उन्होंने पूरा कार्यकाल पूरा करने का भरोसा दिया है।
पार्टी हाई कमान — Mallikarjun Kharge, Rahul Gandhi, और Sonia Gandhi — अब तक इस विवादित स्थिति से दूरी बनाये हुए है और उन्होंने कहा है कि किसी भी प्रकार के फाइनल निर्णय से पहले सभी पक्षों, नेताओं, विधायकों व पार्टी की आंतरिक चर्चाओं को ध्यान में रखा जाएगा।
इस बीच, शिवकुमार के समर्थक कुछ विधायकों ने दिल्ली जाकर पार्टी शीर्ष नेतृत्व से मुलाकातें की हैं — जिससे संकेत मिल रहे हैं कि उनके समर्थन में ताकत इकट्ठी करने की कवायद चल रही है। अगर पार्टी उच्च नेतृत्व जल्दी स्पष्टता नहीं देता — तो यह विवाद कर्नाटक की राजनीति में आने वाले समय में और महत्वपूर्ण मोड़ ले सकता हैI
अगर पार्टी हाई कमान किसी तरह की रोटेशनल मुख्यमंत्री प्रणाली को मानती है — तो भविष्य में कई दलित नेताओं की उम्मीदें और सियासी समीकरण बदल सकते हैं।
लेकिन अगर वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ही पद पर बने रहते हैं — तो इसके बाद राज्य में कांग्रेस के अंदर संयम और असंतोष दोनों देखे जा सकते हैं।
राज्य की राजनीतिक स्थिरता व कांग्रेस की इमेज — दोनों के लिए यह विवाद चुनौती बन सकता है।



