
आज की रात खगोलीय दृष्टि से एक खास घटना घटने जा रही है — 21 सितंबर 2025 की रात में वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, अर्थात् सूर्य पूरी तरह ढकेगा नहीं, बल्कि उसका कुछ भाग चंद्रमा द्वारा ढका जाएगा। AajTak
समय और अवधि:
भारतीय मानक समय (IST) के अनुसार, ग्रहण रात 11:00 बजे शुरू होगा और यह लगभग देर रात 03:23 बजे तक जारी रहेगा। इसका मध्य समय (peak) अर्थात सबसे अधिक छाया वाले समय का अनुमान 01:11 बजे बताया गया है।
राशि एवं नक्षत्र स्थिति:
यह ग्रहण कन्या राशि (Virgo) में घटेगा और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होगा। इस तरह के ज्योतिषीय संयोजन से आस्था और धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व जुड़ा है।
भारत में दृश्यता:
भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा। जिसका मतलब है कि इस ग्रहण का दृश्य अनुभव यहाँ नहीं होगा। इसी कारण सूतक काल (Sutak Kaal) भी भारत में लागू नहीं होगा।
कहाँ दिखाई देगा:
इस आंशिक सूर्य ग्रहण को मुख्यतः न्यूजीलैंड, फिजी, ऑस्ट्रेलिया के दक्षिणी हिस्सों तथा अंटार्कटिका के कुछ भागों में देखा जा सकेगा। न्यूजीलैंड में यह छाया करीब 80% तक सूर्य की रोशनी को बंद कर देगी, अर्थात बहुत प्रमुख होगा।
देश में धर्म-कर्म और लोगों पर प्रभाव:
चूंकि ग्रहण भारत से दृश्यमान नहीं है और सूतक काल लागू नहीं है, इसलिए दैनिक जीवन (जैसे पूजा–पाठ, खान-पान, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष नियम) पर कोई बदलाव या प्रतिबंध नहीं होगा। जो लोग ग्रहण से प्रभावित होने वाले क्षेत्रों में नहीं हैं, वे सामान्य रूप से अपने काम कर सकते हैं।
धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण:
कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के बाद शुद्धिकरण के कार्य जैसे गंगाजल छिड़काव, स्नान, दान आदि करने का महत्व है।
आस्था विज्ञान का मिश्रण देखने को मिलता है: जब ग्रहण देखें जाते हैं तो सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है, जैसे कि आँखों को सीधे सूर्य की किरणों से बचाना।
राशियों के अनुसार, इस ग्रहण का व्यक्तिगत प्रभाव अलग-अलग हो सकता है — कुछ राशि वालों के लिए लाभ की उम्मीद है तो कुछ राशि वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।