
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री हाइवे पर स्थित धराली गांव में गुरुवार देर रात आई आपदा ने पूरे इलाके को हिला दिया। अचानक पहाड़ से भारी भूस्खलन और साथ में मूसलाधार बारिश से निकला पानी व मलबा बेकाबू रफ्तार से गांव में घुस आया। देखते ही देखते सड़क, होटल, घर और दुकानें मलबे में तब्दील हो गईं। हादसा इतना तेज था कि लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला।
स्थानीय लोग और पर्यटक उस वक्त अपने-अपने ठिकानों में थे, लेकिन कुछ सौभाग्यशाली लोग बच निकले। हादसे के समय गांव में एक मंदिर में मेला चल रहा था, जहां मौजूद दर्जनों लोग सुरक्षित रहे। कई लोगों ने ऊंची जगहों की ओर भागकर अपनी जान बचाई। महाराष्ट्र से आए पर्यटकों का कहना है कि जब पानी और कीचड़ का सैलाब आया, तो वे होटल में ही थे। उन्हें बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिख रहा था, तभी सेना के जवान और स्थानीय लोग मदद के लिए पहुंचे।
भूपेंद्र मेहता, जो हादसे के समय धराली में एक होटल में ठहरे थे, ने बताया कि पानी इतनी तेजी से आया कि ग्राउंड फ्लोर कुछ ही सेकंड में भर गया। वे दूसरी मंज़िल से कूदकर बाहर निकले। उनके कपड़े और जरूरी सामान सब बह गया। सेना ने उन्हें अस्थायी कपड़े और खाना उपलब्ध कराया। कई पर्यटकों का कहना था कि मोबाइल नेटवर्क और बिजली ठप होने से सबसे ज्यादा डर उस बात का था कि अपने घरवालों से संपर्क नहीं हो पा रहा था।
दो दिन तक राहत कार्य में जुटी सेना, ITBP और SDRF टीमों ने सैकड़ों फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला। गांव के बाजार क्षेत्र का बड़ा हिस्सा मलबे में समा गया, जिससे स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर गहरा असर पड़ेगा। कई छोटे गेस्टहाउस और होमस्टे पूरी तरह ढह गए। प्रशासन ने इस इलाके में फिलहाल पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगा दी है।
राहत शिविरों में अब तक कई लोगों को ठहराया गया है और उन्हें खाने-पीने के साथ चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। हादसे में कई लोग लापता बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश अभी भी जारी है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना जताई है, जिसके चलते प्रशासन ने आसपास के संवेदनशील क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया है।
धराली त्रासदी ने एक बार फिर यह चेतावनी दे दी है कि पहाड़ी इलाकों में अचानक आने वाली प्राकृतिक आपदाएं किस तरह जीवन और संपत्ति को पलभर में खत्म कर सकती हैं। स्थानीय लोग और बचे हुए पर्यटक अब सिर्फ यही प्रार्थना कर रहे हैं कि लापता लोग जल्द मिल जाएं और गांव एक बार फिर अपनी पुरानी रौनक पा सके।