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ईपीएफओ ने आंशिक निकासी नियमों में बड़ा बदलाव किया

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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने सोमवार को एक ऐतिहासित कदम उठाते हुए अपने आंशिक निकासी (partial withdrawal) नियमों को बहुत अधिक उदार बना दिया है। अब EPFO सदस्यों को यह सुविधा दी गई है कि वे अपने खाते से पात्र राशि (eligible balance) का पूरा 100 प्रतिशत तक निकाल सकें — जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की हिस्सेदारी शामिल है। यह निर्णय EPFO की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, केंद्रीय न्यासी बोर्ड (Central Board of Trustees), द्वारा लिया गया।

सरकार ने इस बदलाव का उद्देश्य EPF सदस्यों की ‘Ease of Living’ (जीवन की सुगमता) को बढ़ाना बताया है। इसके तहत पहले वितरित 13 अलग-अलग प्रावधानों को एक ही सरल ढांचे में समाहित कर दिया गया है, जिन्हें अब तीन मुख्य श्रेणियों में बाँटा गया है — आवश्यक ज़रूरतें (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास संबंधी ज़रूरतें और विशेष परिस्थितियाँ (जैसे बेरोजगारी, प्राकृतिक आपदा आदि)।

नए नियमों के तहत शिक्षा के लिए निकालने की संख्या 10 बार तक कर दी गई है, जबकि विवाह के लिए निकालने की अनुमति 5 बार तक बढ़ाई गई है। इससे पहले ये सीमाएँ कम थीं।

एक और अहम बदलाव यह है कि अब आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि (minimum service requirement) को एक समान करके केवल 12 महीने (1 वर्ष) कर दिया गया है। यानी सदस्य को कम-से-कम 12 महीने सेवा करनी होगी, फिर वे आंशिक निकासी के लिए आवेदन कर सकते हैं।

“विशेष परिस्थितियों” की श्रेणी में अब सदस्य को किसी कारण (reason) का ब्योरा देने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे पहले शिकायतें इस बात की रहती थीं कि कई क्लेम कारण न बताने पर अस्वीकार कर दी जाती थीं। नए नियमों से इस प्रक्रिया को सरल बनाने की कोशिश की गई है।

नियमों की सुरक्षा दृष्टि से यह तय किया गया है कि सदस्यों को खाते में कम-से-कम २५ % राशि हमेशा बनाए रखनी होगी। इस न्यूनतम शेष राशि (minimum balance) की व्यवस्था इसलिए लाई गई है ताकि सदस्य पूरी राशि निकाल लें और बाद में उनकी सेवानिवृत्ति निधि प्रभावित न हो।

इस निर्णय से जुड़े अन्य बड़े बदलावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • पूरी EPF निकासी (final settlement) लेने की अवधि को पहले की 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया गया है।

  • पेंशन निकासी (pension withdrawal) की अवधि को भी पहले की 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने किया गया है।

  • EPFO ने “विश्वास योजना” (Vishwas Scheme) लागू की है, जिसके तहत PF जमा में देरी पर लगने वाले जुर्माने की दर को 1% प्रति माह रूप में सीमित किया गया है। इस योजना के तहत लंबित मुकदमों और देरी जुर्मानों को कम करने का प्रयास किया जाएगा।

  • EPFO 3.0 नामक डिजीटल रूपांतरण कार्यक्रम को मंजूरी दी गई है, जिससे सेवाएँ अधिक पारदर्शी, तेज और स्वचालित होंगी।

  • EPFO ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के साथ समझौता किया है ताकि EPS-95 पेंशनधारकों को डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (Digital Life Certificate) जमा करने की सुविधा घर पर मिले।

यह बदलाव मजदूरों और कर्मचारियों के लिए राहतभरा हो सकता है, क्योंकि उन्हें अचानक पैसों की ज़रूरत पड़ने पर अपने PF को स्रोत के रूप में उपयोग करना आसान हो जाएगा। हालांकि, आलोचकों को चिंता है कि यदि लोग इस सुविधा को ज़्यादा उपयोग करने लगें, तो उनकी भविष्य निधि (retirement corpus) प्रभावित हो सकती है।

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